हिमपात व बारिश पर निर्भर किसानों की मुराद की पूरी

हिमपात व बारिश से उन किसानों को ज्यादा राहत मिली है, जहां पर खेती पूरी तरह से बारिश पर ही निर्भर हो गयी थी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 14 Dec 2018 04:16 PM (IST) Updated:Fri, 14 Dec 2018 04:16 PM (IST)
हिमपात व बारिश पर निर्भर किसानों की मुराद की पूरी
हिमपात व बारिश पर निर्भर किसानों की मुराद की पूरी

चकराता, जेएनएन। इस बार दिसंबर के दूसरे सप्ताह में हिमपात व बारिश से उन किसानों को ज्यादा राहत मिली है, जहां पर खेती पूरी तरह से बारिश पर ही निर्भर हो गयी थी। चकराता व आसपास क्षेत्र में हिमपात के कारण मटर की बुआई के लिए अनुकूल वातावरण विकसित होने से काश्तकारों के चेहरे खिले हुए हैं।

जौनसार बावर में रखरखाव के अभाव में नहरें व गूल क्षतिग्रस्त होने की वजह से अधिकांश खेती बारिश पर निर्भर हो गयी है। काश्तकार महावीर ङ्क्षसह, नैनङ्क्षसह, मेहर ङ्क्षसह आदि का कहना है कि बारिश व हिमपात से लंबे समय तक जमीन में नमी बनी रहती है, वहीं पेयजल स्रोत रिचार्ज होने से गर्मी में पेयजल संकट नहीं झेलना पड़ता। इस बार बारिश व हिमपात समय से हुआ है, जिससे फसलें अच्छी होने पर बैंकों से लोन लेकर खेती करने वाले किसानों को ऋण चुकाने में राहत महसूस होगी।

बर्फबारी के आंकड़ें

वर्ष 1972 से 1980 तक नवंबर माह में ही चकराता बाजार हिमपात से लकदक रहता था। 1990 में अकटूबर में भी हिमपात हुआ था। 93 से 1996 तक नवंबर महीने में ऊंची पहाडियां बर्फ से ढकी। 98-99 में छावनी बाजार में दिसंबर के पहले हफ्ते में हिमपात हुआ था। वर्ष 2002 से 2008 तक नवंबर माह में हिमपात शुरू हो गया था। 2010 से 2014 में भी छावनी बाजार में मौसम का पहला हिमपात दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में हुआ था। वर्ष 2018 में दिसंबर के दूसरे सप्ताह में हिमपात से किसान, बागवान व व्यापारी खुश हैं। 

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