World Environment Day: हेस्को संस्थापक जोशी ने प्रकृति की शुद्धता को 'नेचर फास्ट' पर दिया जोर, जानिए क्या कहा
हिमालयी पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संगठन (हेस्को) के संस्थापक पद्मभूषण डॉ.अनिल प्रकाश जोशी ने प्रकृति की शुद्धता के लिए नेचर फास्ट पर जोर दिया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। हिमालयी पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संगठन (हेस्को) के संस्थापक पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने प्रकृति की शुद्धता के लिए 'नेचर फास्ट' पर जोर दिया है। डॉ. जोशी ने कहा कि कोरोना ने नुकसान पहुंचा तो काफी कुछ सोचने विचारने को भी दिया है। लॉकडाउन में सबकुछ बंद रहा तो प्रकृति की सेहत में सुधार आया। पर्यावरण साफ-सुथरा हुआ। उन्होंने कहा कि प्रकृति की शुद्धता बनी रहे और इसमें और इजाफा हो, इसके लिए सप्ताह में कम से कम दो दिन प्रकृति के लिए 'उपवास' रखा जा सकता है।
पद्मभूषण डॉ. जोशी कहते हैं कि उपवास का अर्थ भूखे रहने से नहीं, बल्कि सप्ताह में दो दिन ऐसी गतिविधि न करें, जिससे प्रकृति को नुकसान पहुंचे। इसके तहत दो दिन वाहनों को न चलाया जाए, लोग घरों में रहें तो इससे फायदा होगा। इस नेचर फास्ट के जरिये व्यक्ति सप्ताह में दो दिन, माह में आठ दिन और साल में 96 दिन एक व्यक्ति प्रकृति के संरक्षण में योगदान दे सकता है। सकल पर्यावरणीय उत्पाद का संकल्प सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तर्ज पर सकल पर्यावरणीय उत्पाद (जीईपी) के लिए तेजी से काम करना डॉ. जोशी का इस पर्यावरण दिवस पर संकल्प है।
वह कहते हैं कि धरती पर मनुष्य और उसके अलावा जितने भी जीव हैं, उनका संरक्षण और सम्मान होने के साथ ही यथोचित स्थान मिलना चाहिए। इसका रास्ता जीईपी से निकलता है और इसके लिए वह राज्यों से लेकर केंद्र तक निरंतर प्रयासरत रहेंगे। हेस्को मुख्यालय बनेगा ईको सिस्टम साइट पर्यावरणविद् डॉ. जोशी बताते हैं कि इस वर्ष देहरादून के शुक्लापुर स्थित हेस्को मुख्यालय को ईको सिस्टम साइट के तौर पर सामने लाने की योजना है। हेस्को में जैवविविधता संरक्षण के उपाय हैं तो नदी, जंगल के संरक्षण की भी। साथ ही स्थानीय संसाधनों का कैसे उपयोग हो, इसका भी खजाना है। ऐसे में इसे प्रकृति शिक्षा संस्थान के रूप में भी विकसित किए जाएगा। यह भी पढ़ें: World Environment Day: लॉकडाउन में स्वच्छ हुए पर्यावरण को बचाना होगा, चुनौतियों से पार पाना होगा
गोवा से उत्तराखंड तक करेंगे यात्रा
पद्मभूषण डॉ. जोशी के अनुसार इस साल वह पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर अक्टूबर-नवंबर से गोवा से लेकर उत्तराखंड तक की यात्रा करेंगे। इस दौरान जगह-जगह व्याख्यान आदि के कार्यक्रम होंगे। इसका खाका तैयार किया जा रहा है। इसके साथ जल उत्तराखंड में जलधारों को रीचार्ज करने के मद्देनजर मुहिम तेज की जाएगी। ही नहीं, सरकार पर्यावरण संरक्षण में सरकार की भागीदारी बढ़ाने के मद्देनजर भी हेस्को विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेगा।