जंगल में पानी मिले तो आबादी में नहीं घुसेंगे गजराज, एक अध्ययन में सामने आई ये बात
जंगल में पानी का पुख्ता इंतजाम हो तो हाथी आबादी वाले क्षेत्रों में नहीं धमकेंगे। रेउनके व्यवहार में आई तब्दीली को लेकर चल रहे अध्ययन में यह बात सामने आई। कुंभ के दौरान हाथियों के लिए जंगल के दूसरे हिस्से में पानी का इंतजाम किए जाने के नतीजे सकारात्मक रहे।
केदार दत्त, देहरादून। जंगल में पानी का पुख्ता इंतजाम हो तो हाथी आबादी वाले क्षेत्रों में नहीं धमकेंगे। हाथियों पर रेडियो कालर लगाकर उनके व्यवहार में आई तब्दीली को लेकर चल रहे अध्ययन में यह बात सामने आई है। इसे देखते हुए हरिद्वार कुंभ के दौरान हाथियों के लिए जंगल के दूसरे हिस्से में पानी का इंतजाम किए जाने के नतीजे सकारात्मक रहे। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के अनुसार अब प्रदेश के हाथी बहुल क्षेत्रों में वाटर होल (जल कुंड) बनाने की दिशा में गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि हाथियों को जंगल में ही रोकने में मदद मिल सके।
उत्तराखंड में यमुना नदी से लेकर शारदा नदी तक राजाजी व कार्बेट टाइगर रिजर्व समेत 12 वन प्रभागों के करीब साढ़े छह हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हाथियों की मौजूदगी है। इस क्षेत्र के आबादी से सटे इलाकों में हाथियों के हमले की घटनाएं अक्सर सुर्खियां बनती आई हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व से सटा हरिद्वार क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। इसे देखते हुए वन महकमे ने हाथियों पर रेडियो कालर लगाकर उनके व्यवहार में आ रहे बदलाव का अध्ययन कराने का निर्णय लिया। राजाजी टाइगर रिजर्व व हरिद्वार वन प्रभाग से लगे क्षेत्रों में परेशानी का सबब बने तीन उत्पाती हाथियों पर रेडियो कालर लगाए गए।
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि अध्ययन के दौरान बात सामने आई कि हरिद्वार में पानी पीने के लिए हाथी हाइवे पार कर लगातार गंगा नदी में आ रहे हैं। इसे देखते हुए उनके लिए जंगल में ही पानी का विकल्प देने के प्रयासों के तहत उत्तर प्रदेश को जाने वाली गंगा नहर से एक हिस्से में पानी की व्यवस्था की गई। इसका असर ये रहा कि पिछले माह हरिद्वार में कुंभ के दौरान हाथियों के कदम जंगल में ही थमे रहे।
सुहाग ने बताया कि अब वन क्षेत्रों में हाथियों के लिए पानी की उपलब्धता के मद्देनजर प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। साथ ही चारे की कमी न हो, इसके लिए राजाजी से कार्बेट टाइगर रिजर्व तक के क्षेत्र में घास के मैदानों में पसरी लैंटाना की झाड़ियों को हटाकर घास प्रजातियों का रोपण किया जा रहा है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के अनुसार अध्ययन में यह बात भी आई कि हाथी आवाजाही के लिए परंपरागत रास्तों का ही उपयोग करते हैं। लिहाजा, इन रास्तों को निर्बाध रखने को भी कदम उठाए जा रहे हैं।
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