Elephants Corridor: हाथियों के लिए कॉरिडोर बनाने में नाकाम रहा वन विभाग, लगातार हो रहे हैं हादसे

दून-हरिद्वार रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की टक्कर से एक और हाथी की मौत ने एलीफेंट कॉरिडोर बनाने को लेकर वन विभाग की गंभीरता पर फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Tue, 28 Jul 2020 11:05 AM (IST) Updated:Tue, 28 Jul 2020 11:05 AM (IST)
Elephants Corridor: हाथियों के लिए कॉरिडोर बनाने में नाकाम रहा वन विभाग, लगातार हो रहे हैं  हादसे
Elephants Corridor: हाथियों के लिए कॉरिडोर बनाने में नाकाम रहा वन विभाग, लगातार हो रहे हैं हादसे

देहरादून, जेएनएन।Elephants Corridor दून-हरिद्वार रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की टक्कर से एक और हाथी की मौत ने एलीफेंट कॉरिडोर बनाने को लेकर वन विभाग की गंभीरता पर फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। एलीफेंट कॉरिडोर ऐसा गलियारा या रास्ता होता है, जिससे होकर हाथी बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के एक से दूसरी जगह स्वच्छंद से विचरण कर सकें। बढ़ते शहरीकरण, फैलते सड़कों के जाल और सिकुड़ते जंगलों के कारण वर्तमान में सबसे बड़ा संकट वन्य जीवों के स्वच्छंद विचरण पर आ खड़ा हुआ है। इसीलिए ऐलीफेंट कॉरिडोर बनाने की योजना सामने आई थी। लेकिन, हर साल हो रहे हादसों के बावजूद न तो वन विभाग ही गंभीर हो रहा है और न ही रेलवे की ओर से ही कोई सतर्कता बरती जा रही है।

देहरादून-हरिद्वार के बीच रेल ट्रैक का करीब 40 किलोमीटर हिस्सा जंगल से होकर गुजरता है। जंगल के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाने के लिए हाथी अक्सर इस रेलवे ट्रैक पार करते हैं। ऐसे में कई बार वह ट्रेन की चपेट में आ जाते हैं। इसे टालने के लिए दून से हरिद्वार के बीच हाथियों के लिए कुछ नए कॉरिडोर तैयार किए जाने थे, मगर वन विभाग अपनी सुस्ती और कुछ तकनीकी अड़चनों के कारण इस काम में नाकाम रहा है।

कब-कब हाथियों के लिए काल बना देहरादून-हरिद्वार रेलवे ट्रैक

 वर्ष 2000 और 2001 में चार हाथियों की ट्रेन की चपेट में आकर मौत हुई। 2002 और 2003 में दो-दो हाथियों ने ट्रेन की चपेट में आकर दम तोड़ा था। 2009 और 2017 में भी एक-एक हाथी की ट्रेन से कटकर मौत हुई। फरवरी 2018 में कांसरो और मोतीचूर के बीच शिशु हाथी की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई थी। इसी वर्ष मार्च में राजाजी पार्क क्षेत्र के रायवाला में एक हथिनी की ट्रेन से कटकर मौत हुई।  जून में राजाजी टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज में हाथियों का एक झुंड मोतीचूर के निकट रेलवे ट्रैक पार कर रहा था। इस दौरान 20 वर्षीय हथिनी ट्रेन की चपेट में आ गई। अप्रैल 2019 में इसी रेल ट्रैक पर नंदा देवी एक्सप्रेस की चपेट में आने से दो नर हाथियों की मौत हो गई थी।

ट्रैक पार कर रहे हाथी की ट्रेन की टक्‍क्‍र से मौत 

देहरादून-हरिद्वार रेलवे ट्रैक ने छह साल के हाथी की जान ले ली। सोमवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे लच्छीवाला रेंज में रेलवे ट्रैक को पार करते समय वह ट्रेन की चपेट में आ गया। टक्कर लगने पर वह गड्ढे में जा गिरा और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। वन विभाग की टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर हाथी का पोस्टमार्टम कराया। जिसमें मौत की वजह अंदरूनी चोटें और शॉक बताई गई है। बीते तीन साल में इस रेलवे ट्रैक पर ट्रेन से टकराकर हाथी की मौत की यह यह पांचवीं घटना है।

लच्छीवाला रेंज के वन क्षेत्रधिकारी घनानंद उनियाल ने बताया कि घटना सुबह करीब साढ़े पांच बजे की है। नकरौंदा के गूलरघाटी क्षेत्र में हाथियों का झुंड रेल ट्रैक पार कर रहा था। तभी देहरादून से हरिद्वार की ओर जा रही दून-दिल्ली जनशताब्दी एक्सप्रेस आ गई। झुंड में शामिल एक हाथी ट्रेन की टक्कर लगने से ट्रैक के पास ही करीब 15 फीट गहरे गड्ढे में जा गिरा। जहां कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। देहरादून जू के चिकित्सक राकेश नौटियाल ने बताया कि हाथी की उम्र करीब छह वर्ष थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार ट्रेन की टक्कर और खड्ड में गिरने से उसके शरीर के अंदरूनी हिस्सों में गहरी चोटें आईं।

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साथ ही हादसे के कारण उसे शॉक भी लगा। पोस्टमार्टम करने वाली टीम में डॉ. अमित ध्यानी, रवि जोशी, परवेश कुमार, नितेंद्र बिष्ट आदि शामिल थे। डीएफओ राजीव धीमान ने बताया कि फिलहाल वन विभाग की ओर से अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। उधर, देहरादून रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक एसडी डोभाल का कहना है कि ट्रेन से हाथी के टकराने की उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है। लोको पायलट ने बताया कि ट्रैक पूरी तरह साफ था।

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