हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के आठ फर्जी शिक्षक हुए निलंबित
फर्जी डिग्रियों पर नौकरी करते पाए गए आठ शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में निलंबित कर दिया है।
देहरादून, जेएनएन। एसआइटी की जांच में फर्जी डिग्रियों पर नौकरी करते पाए गए आठ शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में निलंबित कर दिया है। इसमें से पांच हरिद्वार और तीन ऊधमसिंह नगर जिले में तैनात हैं। गिरफ्तारी के भय से यह सभी निलंबित होते ही भूमिगत हो गए और अब यह शिक्षक एसआइटी को ढूंढे से नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में एसआइटी ने इनकी धरपकड़ को उनके मूल निवास वाले जिलों के एसएसपी और एसपी को पत्र भेजा है।
सूबे के शासकीय विद्यालयों में विगत वर्षों में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियों पर जालसाजों ने शिक्षक की नौकरी हासिल कर ली। करीब ढाई साल पहले इसका भांडा फूटा तो सरकार ने जांच के लिए एसआइटी गठित कर दी। शुरुआती जांच में संदेह के घेरे में आने के बाद एसआइटी ने राज्य के विभिन्न जनपदों में सेवारत शिक्षकों की तीन हजार डिग्रियों को जांच के लिए संबंधित विश्वविद्यालयों और बोर्डों को भेजा।
वहां से आई सत्यापन रिपोर्ट के बाद इसमें से अब तक 97 शिक्षकों की डिग्रियां फर्जी घोषित की जा चुकी हैं और उनके खिलाफ अलग-अलग जिलों में मुकदमे में भी दर्ज हो चुके हैं। वहीं, हाल में आठ और शिक्षकों की डिग्रियां फर्जी पाई गई हैं। एसआइटी ने दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ इसकी जानकारी शिक्षा निदेशालय को दी। निदेशालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो एसआइटी की रिपोर्ट के आधार पर सभी आठ शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। इस तरह फर्जी शिक्षकों की संख्या 105 पहुंच गई है।
पांच सौ शिक्षकों की डिग्रियों पर संदेह
फर्जी शिक्षकों की संख्या पांच सौ तक जा सकती है। हालांकि अभी तक 105 के ही प्रमाण पत्रों का सत्यापन पूरा हो सका है। सूत्रों की मानें तो जिन विश्वविद्यालयों व बोर्डों को प्रमाण पत्र सत्यापन के लिए भेजे गए थे, वहां से अब रिपोर्ट आने लगी है। ऐसे में आने वाले दिनों में जालसाजी कर नौकरी हथियाने वाले कई और फर्जी शिक्षकों के चेहरे बेनकाब होंगे।
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एसआइटी प्रभारी मणिकांत मिश्र ने बताया कि जिन आठ शिक्षकों की डिग्रियां फर्जी पाई गई हैं, उनकी तलाश की जा रही है। उनके मूल निवास के जिलों की पुलिस को पत्र भेजा गया है।