सादगी से मनाया गया ईद-उल फितर, गले नहीं; दिल मिलाकर दी मुबारकबाद
इस ईद पर वह रौनक तो नहीं जो कुछ वर्ष पहले दिखती थी। लेकिन वर्तमान में इससे भी जरूरी वैश्विक महामारी के खात्मे के लिए खुद और दूसरों की रक्षा करना है। हमने गले नहीं एक दूसरे के दिलों में रहकर यह पर्व मनाना है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। इस ईद पर वह रौनक तो नहीं, जो कुछ वर्ष पहले दिखती थी। लेकिन वर्तमान में इससे भी जरूरी वैश्विक महामारी के खात्मे के लिए खुद और दूसरों की रक्षा करना है। हमने गले नहीं एक दूसरे के दिलों में रहकर यह पर्व मनाना है। कुछ इसी विचार के साथ पाक माह रमजान के तीस रोजे के बाद शुक्रवार को ईद-उल-फितर सादगी के साथ मनाई गई।
कोरोना संक्रमण को लेकर शासन की गाइडलाइन और उलेमा की अपील का पालन करते हुए ईदगाह व मस्जिद में सिर्फ पांच-पांच लोग ने ईद की नमाज पढ़ी। बाकी लोग ने घरों में नमाज अता कर देश की खुशहाली व तरक्की, अमन चैन, कोरोना संक्रमण के खात्मे की दुआ मांगी। कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन न हो इसके लिए ईदगाह समेत विभिन्न मस्जिदों के बाहर पुलिस तैनात रही। लोगों ने एक दूसरे से गले मिलने के बजाए दूर से ही ईद मुबारकबाद दी और घरों में ही सीमित संख्या में परिवारजनों के साथ इस पर्व को मनाया।
बीते गुरुवार को चांद का दीदार के बाद शुक्रवार सुबह से ही लोग घरों पर ही ईद की तैयारियों में जुट गए। हालांकि एक साल तक इंतजार करने के बाद ईद की खुशियां बीते वर्ष की तरह इस बार भी कोरोना संक्रमण ने कम कर दी। सुबह छह बजे चकराता रोड स्थित ईदगाह में शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी ने ईद की नमाज पढ़ाई। इसके अलावा पलटन बाजार स्थित जामा मस्जिद, जामा मस्जिद धामावाला, मुस्लिम कॉलोनी, चोरवाला, चूना भट्टा, पटेलनगर समेत शहर के विभिन्न क्षेत्रों में मस्जिदों में शारीरिक दूरी बनाकर पांच पांच लोग ने नमाज अता कर रब से खुशहाली की दुआ मांगी। मस्जिदों में ज्यादा लोग न आ सके, इसके लिए समय पर मस्जिद के गेट बंद करा दिए गए। गले मिलने के बजाए दूर से एक दूजे को ईद की मुबारकबाद दी।
वहीं, इंटरनेट मीडिया पर भी दिनभर परिवार, दोस्त, रिश्तेदार को ईद की बधाई देने का क्रम चलता रहा। इसके बाद जरूरतमंदों को इस विशेष दिन पर दान और सहायता की। शाम को घरों पर ही सेवईं व अन्य पकवान बनाए। शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी ने सभी से अपील करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी को देखते हुए जिस तरह इस पाक महीने में सभी ने प्रशासन की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन किया, आगे भी इसे जारी रखना है। नायब सुन्नी शहर काजी सैय्यद अशरफ हुसैन कादरी ने कहा कि कोविड कर्फ्यू के चलते जिनके काम बंद हो गए, जिनके पास रोजी रोटी कमाने का जरिया खत्म हो गया है। इस ईद पर उनकी मदद के लिए जारी अपील का अनुपालन किया।
इमाम संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुफ़्ती रईस अहमद कासमी ने कहा कि सादगी से ईद मनाते हुए लोग ने अपने घरों पर नमाज अता कर इस महामारी से निजात के लिए अल्लाह की बारगाह में दुआ की। पुलिस ने वापस भेजाईद पर कुछ लोग ईदगाह और पलटन बाजार स्थित जामा मस्जिद के बाहर आए, लेकिन पुलिस ने उन्हें घर पर ही नमाज अता करने और बाहर से मस्जिद बंद होने का हवाला देते हुए वापस भेज दिया। खरीदारी को लेकर इंटरनेट मीडिया पर चर्चा ईद की नमाज अता करने के बाद बाजार में खरीदारी की काफी भीड़ लगती थी, लेकिन इस बार कोविड-कर्फ्यू के चलते लोग ने घरों पर ही रहे। ऐसे में एक दूसरे से फोन व इंटरनेट मीडिया के माध्यम से बीते वर्षों की खरीदारी की बात एक दूसरे से साझा करते रहे।
राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने दी ईद की शुभकामनाएं
राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को ईद-उल-फितर की शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अपने संदेश में कहा कि यह त्योहार हम सबको आपसी भाईचारे, प्रेम और मदद की भावना का संदेश देता है। उन्होंने सभी से अपील की कि इस त्योहार में निहित संदेश का सम्मान करते हुए कोरोना महामारी के इस संकटकाल में साधनहीन और जरूरतमंद व्यक्तियों की मदद को आगे आएं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने संदेश में कहा कि यह त्योहार आपसी भाईचारे और सौहार्द का संदेश लेकर आता है। खुशियों का यह त्योहार सामाजिक एकता को मजबूत करने के साथ ही भाईचारे की भावना का भी संदेश देता है। उन्होंने कोरोना के दृष्टिगत सभी से घर पर रहकर ही इबादत करने और शारीरिक दूरी के मानकों का अनुपालन करते हुए त्योहार मनाने की अपील की है।
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