पीएम मोदी के स्टार्टअप ने किया प्रेरित, इस युवा ने अपनाया स्वरोजगार; हर माह कमा रहे इतने लाख रुपये

प्रधानमंत्री के स्टार्टअप के दिखाए सपने से प्रेरित होकर हरिद्वार के एक युवा ने पुश्तैनी धंधे से इतर जैविक मशरूम की खेती को अपनाया। इतना ही नहीं कई लोगों के लिए रोजगार का जरिया भी बने। युवा हर माह करीब 11 से 14 लाख रुपये तक कमा रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 12:13 PM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 11:36 PM (IST)
पीएम मोदी के स्टार्टअप ने किया प्रेरित, इस युवा ने अपनाया स्वरोजगार; हर माह कमा रहे इतने लाख रुपये
हरिद्वार से सटे ग्रामीण इलाके बहदराबाद में मशरूम की व्यावसायिक खेती के लिए लगाया गया प्लांट।

हरिद्वार, अनूप कुमार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टार्टअप के दिखाए सपने से प्रेरित होकर हरिद्वार के एक युवा ने पुश्तैनी धंधे से इतर जैविक मशरूम (आर्गेनिक मशरूम) की खेती को अपनाया। इतना ही नहीं कई लोगों के लिए रोजगार का जरिया भी बने। मेहनत रंग लायी और अब युवा हर माह करीब 11 से 14 लाख रुपये तक कमा रहे हैं। आइए जानते हैं इनकी सफलता की कहानी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टार्टअप ने दिखाई राह

हरिद्वार जिले के ज्‍वालापुर निवासी शुभम अग्रवाल (34 वर्ष) के पास पिता का जमा-जमाया ड्राइक्लीनिंग का धंधा था, लेकिन ग्रेज्‍युएट शुभम के मन में तो कुछ और करने का जज्‍बा था। उन्‍हें इसकी राह दिखाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टार्टअप ने। वर्ष में 2018 में उन्‍होंने मशरूम की व्यावसायिक खेती के बारे में शुरुआती जानकारी एकत्र की। माता-पिता से इस पर चर्चा की, घरवालों को विश्वास में लिया। धंधे की सफलता के लिए उन्होंने देहरादून ने बकायदा इसकी ट्रेनिंग भी ली। इसके बाद माता-पिता ने अपनी रजामंदी दे दी।

मशरूम की व्यावसायिक खेती के लिए लगाया अत्याधुनिक प्लांट 

शुभम ने अपनी माता पूजा अग्रवाल और पिता सुनील अग्रवाल के नाम का पहला अंग्रेजी अक्षर लेकर 'पीएस फूड्स' नामक कंपनी का निर्माण किया। इसके बाद हरिद्वार से सटे ग्रामीण इलाके बहदराबाद में करीब 10 हजार वर्ग फीट भूमि पर करीब 70 लाख रुपये की लागत से मशरूम की व्यावसायिक खेती के लिए अत्याधुनिक प्लांट लगया। इसमें उन्होंने न तो सरकारी या गैर सरकार आर्थिक सहायता ली और न ही कोई साक्षेदारी की। उन्होंने अपने धंधे को पूर्ण स्वदेशी रखा है।

हर माह कमा रहे 11 से 14 लाख रुपये 

शुभम ने बताया कि वह हर रोज 450 से 500 किलो मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। आज वह इस धंधे से 11 से 14 लाख रुपये प्रति माह कमा रहे हैं। सब खर्च निकाल प्रत्यक्ष रोजगार के तहत उनके यहां काम कर स्किल्ड और अनस्किल्ड लेबर को तकरीबन 3 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन देते हैं। उन्होंने बताया कि धंधा शुरू करते समय ही उन्होंने यह भी ठान लिया था कि अगर कोई इस धंधे को करना चाहेगा तो वह न सिर्फ उसे प्रशिक्षित करेंगे, बल्कि बाजार समेत अन्य सहायता भी प्रदान करेंगे।

कई लोगों को उपलब्‍ध कराया रोजगार 

शुभम अग्रवाल बताते हैं कि उन्‍होंने उत्तराखंड की 20 महिलाओं को रोजगार भी दिया, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से करीब 80 युवाओं को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। उनका संकल्प था कि जब तक बेहद जरूरी न हो जाए वह केवल उत्तराखंडी बेरोजगार युवाओं खासकर महिलाओं को अपने यहां रोजगार देंगे। केवल इतना ही नहीं, वह अपने केंद्र पर बेरोजगार युवाओं को मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दे, उन्हें इसके जरिये छोटे स्तर पर स्वरोजगार के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।

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पहाड़ी जिलों में प्लांट लगाने की योजना 

उनकी अगली योजना पहाड़ी जिलों में प्लांट लगाने और युवाओं को जैविक मशरूम की खेती के लिए प्रोत्साहित करने की की है। उन्‍होंने कहा कि यह मेरा सपना है, अगर मैं इसमें सफल रहा तो पहाड़ों से होकर पलायन को रोकने, यहां से जा चुके युवाओं को दोबारा अपने घरों को लौटने के प्रेरित कर सकूंगा। शुभम कहते हैं कि इस काम में अगर सरकार उनकी कुछ मदद कर देगी तो रास्ता आसान हो जाएगा और अगर सरकारी सहायता नहीं भी मिलती है तो सहकारिता आधारित उद्योग को बढ़ावा देकर अपने सपने को पूरा करने की हर संभव कोशिश करेंगे। 

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