महाकुंभ में हाथियों की धमक रोकेगा अर्ली वार्निंग सिस्टम, पढ़िए पूरी खबर

महाकुंभ में हरिद्वार में आबादी के नजदीक हाथियों की धमक रोकने को अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करने को बिगड़ैल हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।

By Edited By: Publish:Mon, 11 Nov 2019 09:15 PM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 08:37 PM (IST)
महाकुंभ में हाथियों की धमक रोकेगा अर्ली वार्निंग सिस्टम, पढ़िए पूरी खबर
महाकुंभ में हाथियों की धमक रोकेगा अर्ली वार्निंग सिस्टम, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। हरिद्वार में 2021 में होने वाले महाकुंभ के मद्देनजर हाथियों के आतंक पर अंकुश लगाने की दिशा में शासन सक्रिय हो गया है। इस कड़ी में सोमवार देर शाम बुलाई गई बैठक में हरिद्वार में आबादी के नजदीक हाथियों की धमक रोकने को 'अर्ली वार्निंग सिस्टम' विकसित करने को 10 बिगड़ैल हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाने के भारतीय वन्यजीव संस्थान के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई। इसके अलावा वन महकमे ने हाथियों को जंगल में ही रोके रखने के लिए वन सीमा पर स्थायी व अस्थायी प्रकृति के कार्यों को 12 करोड़ की मांग रखी। तय हुआ कि इस राशि की व्यवस्था कुंभ मेला मद से की जाएगी। साथ ही वन विभाग को समूचे हरिद्वार क्षेत्र में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए।

राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार क्षेत्र में हाथियों के हमलों ने शासन से लेकर सरकार तक की नींद उड़ाई हुई है। चिंता की बड़ी वजह 2021 में होने वाला महाकुंभ का आयोजन है। यदि हाथियों की इसी तरह हरिद्वार के आबादी वाले क्षेत्रों में धमक बनी रही तो दिक्कतें बढ़ सकती हैं। लगातार गहराती इस समस्या के निदान को अब शासन सक्रिय हो गया है।

प्रमुख सचिव वन आनंदवर्धन ने सोमवार को सचिवालय में विभाग के अधिकारियों और भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ इस संबंध में मंथन किया। हाथियों की आबादी वाले क्षेत्रों में आवाजाही पर अंकुश लगाने के मद्देनजर भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. विभाष पांडव और डॉ.पराग निगम ने प्रस्तुतीकरण दिया। हरिद्वार के डीएफओ आकाश वर्मा ने भी इस समस्या पर केंद्रित प्रस्तुतीकरण दिया।

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी के मुताबिक महाकुंभ के मद्देनजर हाथियों पर निगरानी के लिए बैठक में अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करने पर जोर दिया गया। इसके लिए वन्यजीव संस्थान की ओर से 10 हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाने के प्रस्ताव को शासन द्वारा सैद्धांतिक मंजूरी दी गई। यह प्रोजेक्ट करीब 80 लाख का है, जिसमें 20 लाख संस्थान व शेष राशि की व्यवस्था वन विभाग करेगा। रेडियो कॉलर लगने पर हाथियों के मूवमेंट का पता चलेगा और फिर संबंधित क्षेत्र में अलर्ट करने के साथ ही दूसरे कदम उठाए जा सकेंगे।

बैठक में वन विभाग की ओर से हाथी समेत दूसरे वन्यजीवों को आबादी की तरफ आने से रोकने को वन सीमा पर स्थायी व अस्थायी कार्यों की रूपरेखा रखी गई। इसके तहत वन सीमा पर हाथीरोधी दीवारों की मरम्मत, नई हाथीरोधी दीवारों का निर्माण, सोलर पावर फैंसिंग, क्विक रिस्पांस टीमों का गठन जैसे कार्य होंगे। तय हुआ इन कार्यों के लिए 12 करोड़ की राशि की व्यवस्था को कुंभ मद से व्यवस्था की जाए।

प्रमुख सचिव वन आनंदवर्धन के मुताबिक हाथियों की समस्या के बारे में कुंभ मेलाधिकारी से भी बात की गई और वे भी इसके समाधान में सहयोग देने को तैयार हैं। वन विभाग की ओर से दिए गए 12 करोड़ के प्रस्ताव को कुंभ मेला की 13 नवंबर को होने वाली बैठक में रखा जाएगा। इसके अलावा वन्यजीव संस्थान को वन विभाग की ओर से दी जाने वाली राशि की व्यवस्था को कैंपा फंड की मदद भी ली जा सकती है। बैठक में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी, अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक डॉ.धनंजय मोहन, कैंपा के सीईओ डॉ.समीर सिन्हा, मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल जीएस पांडेय, राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रो मौजूद थे।

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दिसंबर से लगेंगे रेडियो कॉलर

प्रमुख सचिव वन के मुताबिक हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाने का कार्य वन्यजीव संस्थान एक दिसंबर से शुरू कर सकता है। इस मामले में सैद्धांतिक मंजूरी होने के बाद संस्थान को जल्द से जल्द अन्य औपचारिकताएं पूरी करने को कहा गया है।

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तीन जोन हैं बेहद संवेदनशील

भारतीय वन्यजीव संस्थान की ओर से बैठक में बताया गया कि हरिद्वार में श्यामपुर व उससे सटे गांव, बीएचईएल क्षेत्र और मोतीचूर-चीला कॉरीडोर बेहद संवेदनशील हैं। इन्हीं तीन जोन से हाथियों की सबसे ज्यादा धमक आबादी वाले क्षेत्र में हो रही है। हाथियों पर रेेडियो कॉलर लगने से इनके मूवमेंट पर नजर रखी जा सकेगी।

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