उदांवा पंचायत में घोड़े-खच्चरों से हो रही पेयजल आपूर्ति

संवाद सूत्र चकराता सुविधा से वंचित प्रखंड से जुड़े उदांवा पंचायत के ग्रामीण पेयजल संकट झेल रहे हैं। हालात ये हैं कि उदांवा के लिए पहले 25 किमी दूर रोटा खड्ड से पिकअप के जरिए पानी थोवाथात तक पहुंचाया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 05:46 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 05:46 AM (IST)
उदांवा पंचायत में घोड़े-खच्चरों से हो रही पेयजल आपूर्ति
उदांवा पंचायत में घोड़े-खच्चरों से हो रही पेयजल आपूर्ति

संवाद सूत्र, चकराता: सड़क सुविधा से वंचित प्रखंड से जुड़े उदांवा पंचायत के ग्रामीण पेयजल संकट झेल रहे हैं। हालात ये हैं कि उदांवा के लिए पहले 25 किमी दूर रोटा खड्ड से पिकअप के जरिए पानी थोवाथात तक पहुंचाया जा रहा है। इसके बाद घोड़े-खच्चरों से चार किमी की खड़ी चढ़ाई नापने के बाद गांव तक पेयजल पहुंच पा रहा है। पानी की कीमत कोई उदांवा पंचायत के ग्रामीणों से पूछ सकता है। चकराता-त्यूणी हाईवे से सटे लोखंडी के पास बुधेर से करीब पांच किमी दूर पहाड़ के ऊंचाई वाले इलाके में बसे उदांवा में करीब 25 परिवार रहते हैं। जो लंबे समय से पेयजल किल्लत का सामना कर रहे हैं। बुधेर जंगल से पहाड़ की खड़ी चढ़ाई नापने के बाद स्थानीय लोग जैसे-तैसे उबड़-खाबड़ रास्ते से लोग गांव तक पहुंच पाते हैं। उदांवा के पूर्व प्रधान अतर सिंह चौहान, बहादुर सिंह व पातीराम आदि ने कहा कि गांव में पिछले कई वर्षों से पेयजल संकट बना है। सड़क से वंचित उदांवा के लिए स्थानीय ग्रामीणों व स्कूली बच्चों को घने जंगल के बीच से होकर आना-जाना पड़ता है। यहां पेयजल की बड़ी समस्या है। पेयजल किल्लत के चलते गांव के लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। पानी के लिए ग्रामीण मीलों दूर गडांव खड्ड की दौड़ लगाते हैं। सरकार ने कुछ साल पहले प्रस्तावित उदांवा पंपिग योजना का कार्य तो शुरू करा दिया, लेकिन उसके निर्माण में काफी समय लगेगा। उदांवा के लिए गडांव खड्ड से बन रही पंपिग योजना से ग्रामीणों की उम्मीद जगी है। बुल्हाड़ निवासी उत्तराखंड एप्पल फेडरेशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता प्रताप सिंह रावत ने सूबे के काबिना मंत्री विशन सिंह चुफाल से मुलाकात कर ग्रामीणों की समस्या बताई। सरकार के निर्देश पर पेयजल निगम ने 25 किमी दूर रोटा खड्ड से पिकअप के जरिये थोवाथात तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था तो कर दी, लेकिन उससे आगे उदांवा के लोग अपने संसाधनों से गांव तक पानी पहुंचा रहे हैं। पेयजल की यह समस्या आगे ज्यादा विकट होने की उम्मीद है।

chat bot
आपका साथी