12 किमी दूर से पानी ढो रहे भूठ पंचायत के ग्रामीण
चकराता प्रखंड से जुड़े सीमांत भूठ पंचायत में सैकड़ों लोग पेयजल को तरस रहे हैं।
संवाद सूत्र, चकराता: प्रखंड से जुड़े सीमांत भूठ पंचायत में सैकड़ों लोग पेयजल को तरस रहे हैं। जलस्त्रोत में पानी की मात्रा कम होने से स्थानीय ग्रामीण 12 किमी दूर से पिकअप के जरिए पानी ढोने को मजबूर हैं। प्रधान ने उप जिलाधिकारी से मामले की शिकायत कर प्रभावित गांव में टैंकर से पेयजल आपूर्ति कराने की मांग की है।
इस बार मौसम की बेरुखी के चलते जौनसार-बावर के सीमांत इलाकों में पेयजल का संकट गहराने से हजारों लोग बेहाल हैं। चकराता ब्लॉक से जुड़े गेट बाजार और नया बाजार त्यूणी, छावनी बाजार चकराता, गुतियाखाटल, गोरखा बस्ती, पीडब्ल्यूडी कॉलोनी, माटल बस्ती, अटाल पंचायत, कांडा, निनुस, कूणा, खेड़ा डोंरी, भंद्रौली, उदांवा पंचायत के साथ सुदूरवर्ती कथियान क्षेत्र से जुड़े भूठ पंचायत में पेयजल समस्या का मामला सामने आया है। प्रधान अंकिता देवी ने कहा कि जल संस्थान की दशकों पुरानी बनी हरटाड़-छजाड़-अंगेडी पेयजल योजना से आसपास के करीब छह गांवों में आपूर्ति होती है। अब पेयजल लाइन की हालत बेहद खराब है। इस बार मौसम के अनुकूल नहीं रहने से पुराने जलस्त्रोत में पानी की मात्रा घटकर काफी कम रह गई, जिससे बस्ती क्षेत्र में आपूर्ति प्रभावित है। गांव में पेयजल संकट गहराने से सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जनता पीने के पानी को तरस रही है। हालत यह है कि स्थानीय लोग स्वयं के खर्च पर पिकअप की व्यवस्था कर खड्ड से पानी ढोने को मजबूर हैं। प्रधान अंकिता ने कहा कि पेयजल किल्लत से जूझ रहे प्रभावित ग्रामीणों की समस्या सुनने व देखने वाला कोई नहीं है। जल संस्थान की उदासीनता से दर्जनों ग्रामीण परिवारों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा। घरों में लगे नल सूखे पड़े हैं, जिससे एक बूंद भी पानी की नहीं टपक रही। सार्वजनिक स्टैंड पोस्ट की हालत यह है कि, आंशिक आपूर्ति होने से लोगों को सुबह से शाम तक घंटों लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। प्रधान ने कहा कि जिम्मेदारों की अनदेखी व विभाग की उदासीनता से सरकार की जल जीवन मिशन योजना का लाभ उनकी पंचायत को नहीं मिल पाया। परेशानी के दौर से गुजर रहे ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन से पेयजल व्यवस्था जल्द सुचारू करने की मांग की है। प्रधान ने एसडीएम चकराता से प्रभावित गांव में टैंकर लगाने की मांग की है, जिससे ग्रामीणों को पीने का पानी मिल सके।