Rahat Indori: देहरादून में डॉ. राहत इंदौरी ने हर चाहने वाले की फरमाइश की थी पूरी

मशहूर शायर डॉ. राहत इंदौरी के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है। इंदौरी ने देहरादून में अंतिम बार 15 अप्रैल 2018 को ग्राफिक एरा डीम्ड विवि में प्रस्तुति दी थी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 09:19 AM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 12:03 PM (IST)
Rahat Indori: देहरादून में डॉ. राहत इंदौरी ने हर चाहने वाले की फरमाइश की थी पूरी
Rahat Indori: देहरादून में डॉ. राहत इंदौरी ने हर चाहने वाले की फरमाइश की थी पूरी

देहरादून, जेएनएन। Rahat Indori मशहूर शायर डॉ. राहत इंदौरी के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है। इंदौरी ने देहरादून में अंतिम बार 15 अप्रैल 2018 को ग्राफिक एरा डीम्ड विवि के 16वें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में प्रस्तुति दी थी। उन्हें ग्राफिक एरा काव्य गौरव सम्मान से भी नवाजा गया था। सम्मेलन में डॉ. इंदौरी ने किसी को निराश नहीं किया और हर फरमाइश पर कुछ अलग सुनाया। डॉ. राहत ने देश के मिजाज को अलग अंदाज में पेश किया। उन्होंने शब्दों के कई रंग बिखेरते हुए कहा था कि जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं खामोशी, जो आंखों में दिखाई दे, उसे तूफान कहते हैं, जो ये दीवार का सुराख है, साजिश का हिस्सा है, मगर हम इसको अपने घर का रोशनदान कहते हैं।

ग्रफिक एरा विवि ने जताया शोक 

डॉ. राहत इंदौरी के निधन पर ग्राफिक एरा ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्हें दून और ग्राफिक एरा से बहुत लगाव था। उनका यूं चले जाना बड़ी क्षति है।

2015-16 में संस्कृति विभाग के कार्यक्रम में हुए थे शामिल

शायर डॉ. राहत इंदौरी संस्कृति विभाग की ओर से वर्ष 2015-16 में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कवि सम्मेलन और मुशायरा में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने बच्चों के देशभक्ति गीतों की की प्रस्तुति की सराहना की थी। साथ ही मौजूद श्रोताओं को अपनी शायरी के जरिए तालियां बटोरी। संस्कृति निदेशालय की निदेशक बीना भट्ट ने बताया कि जब वो डूबकर अपने शेर पढ़ते थे तो लोग दीवाने से हो जाते थे। जिन लोगों ने यह सब आंखों से देखा वह ज्यादा दुखी हैं। उनकी शायरी कभी न भुलाने वाली होती थी। कवि और मुशायरा में उनका बहुत बड़ा नाम था। उनके निधन पर विभाग शोक जताता है।

अच्छे इंसान के साथ कामयाब शायर थे राहत इंदौरी

कवि अंबर खरबंदा ने बताया कि डॉ. इंदौरी वे पिछले 12 वर्षों में तीन से चार बार देहरादून आए थे। वह अच्छे इंसान के साथ ही कामयाब शायर भी थे। कुछ लोग जरूर उनके शायरों के विरोध भी करते थे, क्योंकि कई बार वे शायरी में उन्माद पैदा कर देते थे। कवयित्री प्रतिभा कटियार ने भी उनके निधन पर शोक जताया।

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