डॉ. जगप्रीत बने दि दून स्कूल के नए हेडमास्टर, कहा- स्कूल को खेल में नए मुकाम पर पहुंचाना लक्ष्य

दून स्कूल के नए हेडमास्टर डॉ. जगप्रीत सिंह बने हैं। इससे पहले जगप्रीत सिंह करीब साढ़े नौ साल पंजाब पब्लिक स्कूल नाभा में बतौर हेड मास्टर अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 02:52 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 09:15 PM (IST)
डॉ. जगप्रीत बने दि दून स्कूल के नए हेडमास्टर, कहा- स्कूल को खेल में नए मुकाम पर पहुंचाना लक्ष्य
डॉ. जगप्रीत बने दि दून स्कूल के नए हेडमास्टर, कहा- स्कूल को खेल में नए मुकाम पर पहुंचाना लक्ष्य

देहरादून, जेएनएन। प्रतिष्ठित दि दून स्कूल के नए हेडमास्टर डॉ. जगप्रीत सिंह ने बुधवार को स्कूल पहुंचकर कार्यभार ग्रहण कर लिया। इस अवसर पर डॉ. जगप्रीत ने कहा कि उनका लक्ष्य स्कूल को खेल के क्षेत्र में नए मुकाम पर पहुंचाना है। दि दून स्कूल के हेडमास्टर पद के लिए डॉ. जगप्रीत के नाम की घोषणा तीन माह पहले ही हो गई थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण वह अब दून पहुंचे हैं। 

डॉ. जगप्रीत सिंह मूल रूप से अजमेर के रहने वाले हैं। शिक्षा जगत में उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत 21 साल की उम्र में अजमेर के एक स्कूल से बतौर शिक्षक की थी। उनके पिता होटल इंडस्ट्री में थे। उन्होंने बताया कि पारिवारिक व्यवसाय छोड़कर शिक्षा जगत में जाने के मेरे फैसले का घर में विरोध तो खूब हुआ, लेकिन किसी तरह घरवालों को मना लिया। दि दून स्कूल से पहले डॉ. जगप्रीत पंजाब पब्लिक स्कूल, नाभा में साढ़े नौ साल हेडमास्टर पद पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। 

डॉ. जगप्रीत अच्छे क्रिकेटर रहे हैं। इसके अलावा वह स्क्वैश और टेनिस के भी अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। डॉ. जगप्रीत ने कहा कि वह अपने खेल जगत के अनुभव का ज्यादा से ज्यादा लाभ दून स्कूल के छात्रों को देना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि अकादमिक लिहाज से स्कूल में चली आ रही परंपरा को आगे बढ़ाना ही मेरी उपलब्धि होगी। उन्होंने कोरोना के चलते शिक्षा जगत में आए बदलाव को सकारात्मक परिवर्तन बताया। कहा कि इससे शिक्षकों ने कम समय में नई तकनीक सीखी और छात्रों को भी पढ़ाई के लिए बड़ा मंच मिल गया।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के लाखों छात्र-छात्राओं को इस बार डीबीटी से पैसा नहीं, मिलेंगी पुस्तकें

कोरोना के लिहाज से स्कूल से तैयार

डॉ. जगप्रीत ने कहा कि कोरोना वायरस के लिहाज से स्कूल में तैयारियां पूरी हो गई हैं। पहले जहां एक हॉस्टल में 40 छात्र रहते थे, अब वहां सिर्फ 10 छात्रों को ही रखा जाएगा। मेस और बाथरूम के इस्तेमाल के लिए हर बच्चे को तय समय दिया जाएगा। हर इस्तेमाल के बाद इनका सेनिटाइजेशन किया जाएगा। क्लासरूम में भी शारीरिक दूरी का पूरा पालन किया जाएगा। फिलहाल खेल व दूसरे आयोजनों पर रोक रहेगी। इस साल विदेश व दूसरे राज्यों के साथ होने वाले एक्सचेंज कार्यक्रम भी निरस्त रहेंगे। उन्होंने बताया कि स्कूल ने छात्रों और शिक्षकों के लिए एसओपी तैयार कर ली है। केंद्र सरकार की ओर से स्कूल खोलने का निर्देश मिलते ही सभी छात्रों को अलग-अलग क्वारंटाइन कर छह हफ्ते स्कूल में लाया जाएगा।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा परिषद ने जारी किया बोर्ड परीक्षा कार्यक्रम

chat bot
आपका साथी