जन स्वास्थ्य की मुहिम के सारथी हैं डॉ. संजय, लिम्का और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है नाम

विश्व विख्यात ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्र में जाना-माना नाम हैं। सर्जरी में हासिल की गई उपलब्धियों को देखते हुए ही उनका नाम लिम्का और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 11:37 AM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 11:37 AM (IST)
जन स्वास्थ्य की मुहिम के सारथी हैं डॉ. संजय, लिम्का और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है नाम
जन स्वास्थ्य की मुहिम के सारथी हैं डॉ. संजय।

जागरण संवाददाता, देहरादून। दून के विश्व विख्यात ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्र में जाना-माना नाम हैं। सर्जरी में हासिल की गई उपलब्धियों को देखते हुए ही उनका नाम लिम्का और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। वहीं, सामाजिक उपलब्धियों के लिए उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान मिल चुका है। अब उन्हें पद्मश्री सम्मान मिलने से उत्तराखंडवासी बेहद खुश हैं। 

31 अगस्त 1956 में जन्मे डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय ने वर्ष 1980 में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर से एमबीबीएस किया था। फिर उन्होंने पीजीआइ चंडीगढ़ और सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली में सेवा दी। इसके बाद वह स्वीडन, जापान, अमेरिका, रूस और ऑस्ट्रेलिया में फेलोशिप के जरिये अपना हुनर तराशते रहे। उनके नाम कई रिसर्च जर्नल भी हैं। इनमें न केवल भारतीय, बल्कि कई विदेशी जर्नल भी शामिल हैं। वह अतिथि प्राध्यापक के रूप में जापान, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, मलेशिया सहित कई देशों में व्याख्यान भी दे चुके हैं।

वर्ष 2005 में हड्डी का सबसे बड़ा ट्यूमर निकालने का विश्व रिकॉर्ड भी उनके नाम दर्ज हुआ। इसके अलावा 2002, 2003, 2004 व 2009 में सर्जरी में कई अभिनव उपलब्धियों के लिए उन्हें लिम्का बुक में स्थान मिला। इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन की उत्तराखंड शाखा के वह संस्थापक अध्यक्ष रहे हैं। साथ ही कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सदस्य हैं। वह उत्तराखंड लोक सेवा आयोग में सलाहकार और एचएनबी गढ़वाल विवि की एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य भी रहे। फिलहाल वह एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के सदस्य हैं।

डॉ. संजय मानते हैं कि पोलियो और मस्तिष्क पक्षाघात बच्चों में लकवा व दिव्यांगता का एक बड़ा कारण है। 40 साल के अपने करियर में वह निश्शुल्क स्वास्थ्य शिविर के माध्यम से ऐसे पांच हजार से ज्यादा बच्चों को नया जीवन दे चुके हैं। उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में भी डॉ. संजय व उनकी टीम 200 से अधिक स्वास्थ्य शिविर लगा चुके हैं। सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक क्षति का आकलन करते हुए उन्होंने पाया कि इस मुद्दे पर वृहद स्तर पर जन जागरूकता की जरूरत है। वह लगातार इस ओर कार्य कर रहे हैं। कोरोनाकाल में भी जन जागरूकता के मोर्चे पर उन्होंने बड़ा काम किया।

यही वजह है कि उन्हें मिले पुरस्कारों की फेहरिस्त काफी लंबी है। इसमें सिकॉट फाउंडेशन फ्रांस अवार्ड, प्रेसिडेंट एप्रिसिएशन अवार्ड, डॉ. दुर्गा प्रसाद लोकप्रिय चिकित्सक पुरस्कार, उत्तराखंड रत्न, उत्तरांचल गौरव, नेशन बिल्डर अवार्ड, मसूरी रत्न, हेल्थ आइकन, नेशनल हेल्थकेयर एक्सिसेंस अवार्ड, बेस्ट ऑर्थोपेडिक सर्जन इन इंडिया अवार्ड, सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर एक्सिलेंस अवार्ड आदि शामिल हैं।

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