Doon Hospital: दून अस्पताल को जल्द ही मिलेगा एनएबीएच दर्जा, दिया जाता है न मापदंडों पर
दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय जल्द ही एनएबीएच प्रमाणित अस्पताल बन जाएगा। अस्पताल प्रबंधन ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। एनएबीएच प्रमाण पत्र अस्पताल में मरीज की सुरक्षा और इलाज मानकों का परीक्षण चिकित्सकों की योग्यता और निगरानी सिस्टम के आधार पर दिया जाता है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय जल्द ही एनएबीएच (नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फार हास्पिटल्स एंड हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स) प्रमाणित अस्पताल बन जाएगा। अस्पताल प्रबंधन ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। एनएबीएच प्रमाण पत्र अस्पताल में मरीज की सुरक्षा और इलाज, मानकों का परीक्षण, चिकित्सकों की योग्यता और निगरानी सिस्टम के आधार पर दिया जाता है।
मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना के निर्देश पर चिकित्सा अधीक्षक डा. केसी पंत और डिप्टी एमएस डा. एनएस खत्री की अगुआई में एक टीम ने तमाम विभागों से डाटा एवं उपलब्ध सुविधाओं के संबंध में जानकारी हासिल करनी शुरू कर दी है। वहीं, एक निजी एजेंसी के विशेषज्ञों को भी बुलाया गया है, जो अस्पताल को एनएबीएच प्रमाणन के लिए की जाने वाली तैयारियों के संबंध में जानकारी दे रही है। प्राचार्य ने बताया कि एनएबीएच के प्रमाणन की तैयारी की जा रही है। जल्द ही इसके लिए आवेदन किया जाएगा और इस बावत टीम यहां दौरा करेगी। एनएबीएच प्रमाण पत्र मिलने पर उच्च मानकों पर अस्पताल में सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी।
विश्व बैंक के हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत पीपीपी मोड पर संचालित रामनगर का राम दत्त जोशी अस्पताल राज्य का एकमात्र एनएबीएच प्रमाणित सरकारी अस्पताल है। दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय के साथ ही राज्य के अन्य अस्पताल भी एनएबीएच प्रमाणित होने के लिए प्रयास में लगे हैं।
इन मापदंडों पर दिया जाता है एनएबीएच दर्जा
-अस्पताल में जैव चिकित्सा अपशिष्ट का प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार निपटान करना
-अस्पताल में संक्रमण रोकथाम कमेटी बनाकर उसकी नियमित बैठक
-अस्पताल के कर्मचारियों की नियमित ट्रेनिंग
-तय संख्या में मरीजों से फीडबैक लेना
-सभी तरह के रिकार्ड का संधारण
-अस्पताल में सफाई व्यवस्था
-मरीजों और उनके स्वजन के बैठने की व्यवस्था
-अस्पताल में संकेतक लगाना, जिससे मरीजों को आने-जाने में दिक्कत न हो
-संक्रमण रोकने के लिए आपरेशन थियेटर से नियमित तौर पर स्वाब के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजना
-मरीज की सुरक्षा और इलाज, चिकित्सकों की योग्यता और निगरानी तंत्र
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