'अफ्रीका हाउस' में डॉली ने पिरोए हैं जीवन के हर रंग
साहित्यकार डॉली डबराल ने अफ्रीका हाउस संस्मरणात्मक पुस्तक में जीवन के हर रंग पिरोए हैं। पुस्तक में परिवार और समाज के सुख-दुख की सच्चाई को इस तरह पेश किया गया है कि यह आने वाली पीढ़ी के लिए दस्तावेज बनेगी।
जागरण संवाददाता, देहरादून: साहित्यकार डॉली डबराल ने अफ्रीका हाउस संस्मरणात्मक पुस्तक में जीवन के हर रंग पिरोए हैं। पुस्तक में परिवार और समाज के सुख-दुख की सच्चाई को इस तरह पेश किया गया है कि यह आने वाली पीढ़ी के लिए दस्तावेज बनेगी।
यमुना कॉलोनी स्थित ऑफिसर्स क्लब में रविवार को डॉली डबराल की संस्मरणात्मक पुस्तक का विमोचन हुआ। इस मौके पर मुख्य अतिथि पूर्व वीसी कुमाऊं विवि प्रो.बीके जोशी ने कहा कि डॉली ने पुस्तक को बहुत ही सुंदर, सरल भाषा में लिखते हुए संस्मरण को एक सूत्र में बांधा है। लेखिका ने पुस्तक में जो भी संस्मरण लिखे गए हैं, उन्हें सहजता, सरलता और प्रेरक के रूप में बयां किया है। पुस्तक में हंसी, ठहकों से सिसकियों तक का सफर हर किसी के मन को स्पर्श करता है। इस मौके पर प्रसिद्ध कहानीकार सुभाष पंत ने कहा कि पुस्तक को सहज भाषा में लिखना लेखक की मेधा होती है। कहानी में कल्पनाओं का आकाश होता है, मगर संस्मरण को ईमानदारी से लिखना होता है। डॉली की पुस्तक में वह सब कुछ पढ़ने को मिला है। फिरोज गांधी पीजी कॉलेज रायबरेली की प्रो.चंपा श्रीवास्तव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पुस्तक की भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस मौके पर डॉली डबराल ने कहा कि छह माह में उन्होंने यह संस्मरण पूरा किया। वह 1976 से लिख रही हैं। पुस्तक के 15 संस्मरणों में पांच घर-परिवार से जुड़े हैं। जबकि, 10 सैन्य परिवार की कठिनाईयों से लेकर समाज में मिसाल बनी महिलाओं के नाम लिखे गए हैं। इस मौके पर साहित्यकार गुरदीप खुराना, कृष्णा खुराना, आरबी श्रीवास्तव, डॉ. एस फारुख, विनोद कुमार डबराल, एसएस कोठियाल, प्रीति सक्सेना, सावित्री काला, बीना बेंजवाल आदि मौजूद रहे।
इनको किया सम्मानित
समारोह में पत्रकार डॉ. रवींद्र मिश्र, जितेंद्र सिन्हा, नृत्यांगना संध्या जोशी, संगीतज्ञ पूनम जोशी, केसर सिंह, अजय कुमार आदि को सम्मानित किया गया।