डॉक्टर को फर्ज से न डिगा सकी पिता की मौत, कहा- कोविड मरीजों का उपचार ही श्रद्धांजलि

पिता की मौत का गम होने के चलते आंखें नम जरूर रहीं पर फर्ज के आगे भावुकता को आड़े नहीं आने दिया। ड्यूटी के प्रति यह जज्बा हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट के कोविड हॉस्पिटल के आइसीयू में ड्यूटी कर रहे डॉ. मृणाल कमल ने दिखाया।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 06:02 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 11:00 PM (IST)
डॉक्टर को फर्ज से न डिगा सकी पिता की मौत, कहा- कोविड मरीजों का उपचार ही श्रद्धांजलि
डॉक्टर को फर्ज से न डिगा सकी पिता की मौत।

संवाद सूत्र, डोईवाला। पिता की मौत का गम होने के चलते आंखें नम जरूर रहीं पर फर्ज के आगे भावुकता को आड़े नहीं आने दिया। ड्यूटी के प्रति यह जज्बा हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट के कोविड हॉस्पिटल के आइसीयू में ड्यूटी कर रहे डॉ. मृणाल कमल ने दिखाया। कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने उनकी कर्तव्यनिष्ठा की तारीफ करते हुए दुख की घड़ी में ढांढस बंधाया और सांत्वना दी। 

हिमालयन हॉस्पिटल के कोविड आइसीयू में ड्यूटी कर रहे डॉ. मृणाल कमल को फोन पर उनके स्वजन ने उनके पिता स्व. कमला प्रसाद सिंह की गोवा में कोरोना से निधन की दुखद खबर दी। इस खबर से डॉ. मृणाल कमल बुरी तरह टूट गए। कोविड आइसीयू में मरीजों के उपचार की जिम्मेदारी का फर्ज याद कर उन्होंने गम को किसी के सामने छलकने नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने खुद को संभाला और कोविड वॉर्ड में ड्यूटी जारी रखी। 

डॉ. मृणाल कमल कोरोना महामारी की दस्तक के बाद से ही मरीजों के इलाज में जुटे हैं। बीते 13 महीने में डॉ. मृणाल कमल हजारों कोविड-19 मरीजों का उपचार कर चुके हैं। कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने डॉ. मृणाल कमल ने कोविड महामारी में अपने पिता को खोने पर भी डॉ. मृणाल ने फर्ज निभाकर एक मिसाल पेश की है। हिमालयन हॉस्पिटल में ऐसे कई कोविड वॉरियर्स हैं, जो इस मुश्किल समय में भी अपने परिवार से दूर रहकर रोगियों की सेवा कर रहे हैं।

कोविड-19 मरीजों की सेवा ही पिता को मेरी श्रद्धांजलि 

डॉ. मृणाल कमल ने कहा कि पिता के निधन की खबर ने मुझे झकझोर कर रख दिया। अंतिम संस्कार के लिए मैं घर जाता तो शायद भावनात्मक रूप से टूट जाता। फिर सोचा कि अभी यहां मेरे मरीजों को मेरी जरूरत है और इसीलिए मैंने अपनी ड्यूटी जारी रखने का फैसला किया। मैं उनकी जान बचा पाता हूं तो मेरे पिता को यही मेरी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

वीडियो कॉल पर देखा पिता का अंतिम संस्कार

डॉ. मृणाल कमल ने कहा कि मेरे लिए बहुत कठिन समय था। पिता के अंतिम संस्कार में जाने का सोचा, लेकिन फिर पिता जी द्वारा सिखाई गई बात 'कर्तव्य ही सर्वोपरि' याद आ गई। पिताजी के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया वीडियो कॉल के माध्यम से देखी। डॉ. मृणाल कमल ने कहा कि जन सेवा के उद्देश्य से ही हिमालयन हॉस्पिटल की स्थापना हुई है। दिल्ली से यहां पर ज्वाइन करने के बाद यह अहसास भी हुआ। मैं अपने को सौभाग्यशाली समझता हूं कि इस मुश्किल दौर में हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट में मरीजों को सेवा दे रहा हूं।

खुद कोविड संक्रमित हुए, लेकिन जज्बा कायम

डॉ. मृणाल कमल बीते एक वर्ष से कोविड रोगियों की सेवा में जुटे हैं। इस दौरान उन्हें दिल्ली में कोविड संक्रमण भी हुआ। संक्रमण इतना घातक था कि उन्हें लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज दिल्ली के आइसीयू में एडमिट करना पड़ा, लेकिन फिर भी कोविड रोगियों के उपचार में उनका जज्बा कम नहीं हुआ। स्वस्थ होने के बाद वह लगातार कोविड रोगियों के उपचार में ड्यूटी कर रहे हैं। कोरोना मरीजों के उपचार के लिए समर्पित डॉ. मृणाल कमल को 'कोविड वॉरियर्स' के सम्मान से नवाजा जा चुका है। भारत सरकार की ओर से बीते वर्ष 09 अगस्त 2020 को उन्हें दिल्ली के राजपथ पर आयोजित समारोह में उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

कोरोना वायरस से जंग लड़ेंगे और जीतेंगे भी

कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने सराहाना करते हुए अदृश्य दुश्मन से जारी इस जंग में डॉ. मृणाल कमल की तरह हॉस्पिटल के सभी डॉक्टर्स, नर्सें, टैक्निशियन व तमाम स्टाफ कोरोना वॉरियर्स की भूमिका में शत्रु का डटकर मुकाबला कर रहे हैं। कोरोना वॉरियर्स का जो जज्बा है उससे पूरा यकीन है कि यह जंग एक दिन हम निश्चित ही जीतेंगे। 

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