पोस्ट कोविड के लक्षणों को न करें नजरअंदाज, जानिए क्या है एम्स के डॉक्टरों की सलाह

रोना वायरस संक्रमण से रिकवर होने के बाद अगर किसी मरीज को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत महसूस हो तो इसे नजरअंदाज नहीं करें। यह पोस्ट कोविड के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में आपको तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर अपना उपचार कराना चाहिए।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 06:22 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 11:17 PM (IST)
पोस्ट कोविड के लक्षणों को न करें नजरअंदाज, जानिए क्या है एम्स के डॉक्टरों की सलाह
पोस्ट कोविड के लक्षणों को न करें नजरअंदाज।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। कोरोना वायरस संक्रमण से रिकवर होने के बाद अगर किसी मरीज को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत महसूस हो तो इसे नजरअंदाज नहीं करें। यह पोस्ट कोविड के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में आपको तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर अपना उपचार कराना चाहिए। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने पोस्ट कोविड मरीजों के लिए यह सलाह जारी की है।

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि कोविड से ठीक को चुके कई व्यक्तियों में क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम (बिना श्रम किए थकावट महसूस होना) और सांस लेने में तकलीफ होने की शिकायत प्रमुखता से देखी जा रही है। इसके अलावा 'नॉर्मल लंग्स कैपेसिटी' के कारण चलने में कठिनाई होना, सीने मे दर्द आदि की शिकायतें भी उभर रही हैं। साथ ही कुछ लोगों को अनिंद्रा की भी शिकायत हो सकती है। यह सभी पोस्ट कोविड के लक्षण हैं। उन्होंने सलाह दी है कि ऐसे व्यक्तियों को तत्काल इलाज की आवश्यकता है और ऐसे लक्षणों के सामने आने पर किसी भी तरह की लापरवाही से बचना चाहिए।

उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों के लिए रिहैबिलिटेशन (स्वस्थ जीवनशैली में लौटने की प्रक्रिया) की व्यवस्था करने की जरूरत होती है। कोविड के नोडल अधिकारी डा. पीके पंडा ने बताया कि एम्स, ऋषिकेश की कोविड स्क्रीनिंग ओपीडी में इन दिनों औसतन 10 से 12 पोस्ट-कोविड मरीज प्रतिदिन देखे जा रहे हैं। आने वाले समय में ऐसे मरीजों की संख्या और बढ़ने की उम्मीद है। इनमें अधिकांश मरीजों को सांस लेने में तकलीफ, हृदय और डायबिटीज संबंधी शिकायतें हैं।

उन्होंने बताया कि एसिम्टोमैटिक लक्षण वाले कोविड मरीज यदि नियमित ब्रीदिंग एक्सरसाइज (सांस से जुड़े व्यायाम) का अभ्यास करें और संतुलित व पौष्टिक भोजन लें तो उनमें पोस्ट कोविड की समस्या नहीं होगी। पर, 'हाइफ्लो ऑक्सीजन थैरेपी' वाले और जो मरीज वेंटिलेटर पर रहे हों, उन्हें फेफड़ों में परेशानी होने की समस्या हो सकती है। ऐसे मरीजों को चिकित्सक की सलाह पर ब्रीदिंग एक्सरसाइज करनी चाहिए। अगर किसी व्यक्ति की कुछ कदम चलने के बाद सांस फूलने लगे या सांस लेने में तकलीफ हो तो उन्हें हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेकर अपना उपचार कराना चाहिए।

शुगर, किडनी और हार्ट की बीमारी वालों को ज्यादा खतरा

नोडल ऑफिसर डा. पीके पंडा ने बताया कि जिन व्यक्तियों को बीपी, अनियंत्रित शुगर, किडनी रोग व हार्ट की बीमारी है, ऐसे व्यक्तियों को पोस्ट कोविड से ज्यादा खतरा है। ऐसे लोगों को नियमित तौर से चिकित्सक के संपर्क में रहकर दवा का उपयोग करना चाहिए। खड़े होने पर चक्कर आने की शिकायत पर ब्लड प्रेशर की जांच कराना और हाथ पैरों में ऐंठन होने पर चिकित्सक की परामर्श से विटामिन-ए, बी काम्पलेक्स और विटामिन-सी का सेवन करना उचित रहता है।

उन्होंने बताया कि संक्रमित होने पर कोरोना वायरस मरीज की मांसपेशियों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाता है, इन हालातों में शरीर में कमजोरी महसूस होने लगती है। ऐसे लक्षण वाले मरीजों को अपने भोजन में हाई प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करना चाहिए। इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

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