गले की खराश, जुकाम और बुखार को न करें नजरअंदाज; जान लें क्या है AIIMS निदेशक की सालह

यदि आपको बुखार और गले में खराश की शिकायत है तो सतर्क रहें। इस तरह के लक्षणों को वायरल फीवर समझकर इसे हल्के में लेना आपके लिए घातक हो सकता है। यह सभी लक्षण कोरोना संक्रमण के प्रमुख लक्षणों में शामिल है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 07:05 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 11:15 PM (IST)
गले की खराश, जुकाम और बुखार को न करें नजरअंदाज; जान लें क्या है AIIMS निदेशक की सालह
गले की खराश, जुकाम और बुखार को न करें नजरअंदाज।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। यदि आपको बुखार और गले में खराश की शिकायत है तो सतर्क रहें। इस तरह के लक्षणों को वायरल फीवर समझकर इसे हल्के में लेना आपके लिए घातक हो सकता है। यह सभी लक्षण कोरोना संक्रमण के प्रमुख लक्षणों में शामिल है। ऐसे में आपको बिना देरी के कोविड जांच कराने की आवश्यकता है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कुछ लक्षण विशेष रूप से उभर कर आ रहे हैं। इस बाबत एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि मरीज को स्वाद और गंध का पता नहीं चलने के अलावा बुखार, गले में खराश व दर्द होना भी कोविड के प्रमुख लक्षण हैं। उन्होंने बताया कि इस बार युवा वर्ग पर कोरोना का असर ज्यादा देखने को मिल रहा है। 

सामुदायिक स्तर पर संक्रमण की दर कम करने के लिए जरूरी है कि लोग अपने घरों में ही रहें और बिना किसी ठोस वजह के घर से बाहर हरगिज नहीं निकलें। प्रो. रवि कांत ने बताया कि संक्रमण से बचाव के लिए कोविड वैक्सीन विशेष लाभकारी है। ऐसे में 45 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोग जल्द से जल्द व अनिवार्य रूप से कोविड वैक्सीन लगवाएं। उनका सुझाव है कि समय रहते वैक्सीन लग जाने से शरीर में वायरस का असर कम होगा और लोग सुरक्षित रहेंगे।

एम्स में कोविड स्क्रीनिंग ओपीडी के प्रभारी और सीएफएम विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. योगेश बहुरूपी का कहना है कि कोविड परीक्षण हेतु एम्स, ऋषिकेश पहुंचने वाले व्यक्तियों में बुखार और गले में खराश की शिकायत के मामले प्रमुखता से आ रहे हैं। उन्होंने बताया अप्रैल महीने में एम्स की कोविड स्क्रीनिंग ओपीडी में 5,287 लोगों ने जांच के लिए कोविड सैंपल दिए थे, जिनमें अधिकांश लोग 20 से 50 आयुवर्ग के ही थे।

वर्क फ्रॉम होम की नीति पर काम करने की सलाह 

20 से 50 आयुवर्ग के व्यक्तियों को नौकरी पेशे के लिए हर रोज घर से बाहर निकलना पड़ता है। लिहाजा इस उम्र के लोगों में संक्रमण की ज्यादा शिकायत मिल रही है। इस मामले में एम्स चिकित्सकों ने सुझाव दिया है कि संक्रमण से बचाव के लिए इस उम्र के लोगों को 'वर्क फ्रॉम होम' की नीति पर काम करने की आवश्यकता है। डॉ. योगेश बहुरूपी ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर का यह समय बेहद जोखिम वाला समय है। युवा वर्ग को उनकी सलाह दी कि बिना किसी ठोस वजह से घर से बाहर नहीं निकलें। 

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