मंत्री-विधायक की तकरार से मुश्किल में 'सरकार', पढ़िए पूरी खबर

त्रिवेंद्र सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाने के तीन दिन बाद अब कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने तीरथ सरकार की कार्यशैली को भी कठघरे में खड़ा कर दिया। जोशी ने त्रिवेंद्र सरकार पर कोरोना रोकने के लिए समय रहते पर्याप्त इंतजाम न करने का आरोप लगाया था।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 08:53 AM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 08:53 AM (IST)
मंत्री-विधायक की तकरार से मुश्किल में 'सरकार', पढ़िए पूरी खबर
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और विधायक उमेश शर्मा काऊ।

अंकुर अग्रवाल, देहरादून। त्रिवेंद्र सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाने के तीन दिन बाद अब कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने तीरथ सरकार की कार्यशैली को भी कठघरे में खड़ा कर दिया। जोशी ने त्रिवेंद्र सरकार पर कोरोना संक्रमण रोकने के लिए समय रहते पर्याप्त इंतजाम न करने का आरोप लगाया था, वहीं अब उन्होंने रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ की ओर से गत दिनों रायपुर स्टेडियम में बनवाए गए 30 बेड के कोविड केयर सेंटर पर सवाल उठाते हुए अपनी की सरकार को सवालों में खड़ा कर दिया। हालांकि, इस पूरे मामले में काऊ के साथ जोशी की आपसी तल्खी को भी मुख्य वजह माना जा रहा, लेकिन सरकार की ओर से की गई व्यवस्था पर सार्वजनिक तौर पर सवाल उठाने से जोशी न केवल सरकार की मुश्किलें बढ़ा बैठे, बल्कि भाजपा नेताओं में चल रही आपसी कलह की 'आग' में और घी डाल दिया। विपक्षी कांग्रेस को सरकार को घेरने का मुद्दा अलग थमा दिया। 

मार्च में प्रदेश की सत्ता में चेहरा परिवर्तन के बाद तीरथ सिंह रावत सरकार में पहली मर्तबा कैबिनेट मंत्री बने मसूरी के विधायक गणेश जोशी का अतिरेक उन पर भारी पड़ने लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उन्हें अनुभवहीन बताकर पहले ही सवालों में खड़ा कर दिया है, जबकि अब जोशी का विधायक काऊ से टकराव सामने आ गया। पिछले कुछ दिनों से रायपुर स्टेडियम स्थित कोविड केयर सेंटर की व्यवस्था पर सवाल उठा रहे मंत्री जोशी का अचानक वहां जाना और स्वास्थ्य सेवा में खामी निकालना सीधे तौर पर विधायक काऊ पर निशाना साधना माना जा रहा है। हालांकि, जोशी यह नहीं समझ पाए कि इसमें सीधे सरकार के ऊपर भी बात आएगी। दरअसल, दो दिन पूर्व ही खुद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अफसरों के साथ रायपुर सेंटर का निरीक्षण किया था और व्यवस्था पर संतोष जताया था। इसके बावजूद जोशी ने वहां निरीक्षण कर न सिर्फ सरकारी धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया, बल्कि सेंटर बनाने के फैसले पर ही सवालिया निशान लगा दिया।

कांग्रेस ने लपका मुद्दा

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, मंत्री गणेश जोशी व विधायक उमेश शर्मा काऊ के बीच चल रही इस आपसी तनातनी का मुद्दा लपकते हुए कांग्रेस ने राज्य सरकार की कोरोना से बचाव की व्यवस्था को झूठ करार दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि सरकार सफेद झूठ बोल रही है और इसी का परिणाम है कि कैबिनेट मंत्री भी सरकार की कार्यशैली व आपदा में धन के दुरुपयोग पर सवाल उठा रहे। दसौनी ने इंटरनेट मीडिया पर भी इस बारे में टिप्पणी की। आरोप लगाया कि भाजपा नेता अपनी सरकार के लिए झूठा प्रचार कर जनता को छल रहे हैं। जिसे 170 बेड का अस्पताल और जिसमें 30 आइसीयू बताए जा रहे थे, उसका सच खुद कैबिनेट मंत्री ने सामने ला दिया है।  

गणेश जोशी (कैबिनेट मंत्री) का कहना है कि सरकार कोविड संक्रमण के बचाव के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन अधिकारियों को इस बाबत कोई चिंता नहीं हैं। यह अत्यंत गंभीर बात है। रायपुर सेंटर के निर्माण में जो कुछ अनियमितताएं हुई हैं या धन का जो दुरुपयोग हो रहा है, उसकी पूरी रिपोर्ट तैयार कर मैं मुख्यमंत्री को दूंगा। जो भी दोषी व जिम्मेदार होंगे, उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुझे अनुभवहीन बताया है, मैं इस पर कोई टिप्पणीं नहीं करूंगा। ये उनकी अपनी समझ है। मैं दून का कोविड प्रभारी मंत्री होने के नाते कोविड सेंटर का निरीक्षण करने आया था, इसलिए त्रिवेंद्र की टिप्पणी पर मैं कुछ नहीं कहूंगा। 

उमेश शर्मा काऊ (विधायक रायपुर) का कहा है कि किसी भी काम के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है। जन सामान्य को तत्काल उपचार मुहैया कराने के लिए जो बन पड़ रहा, उतना हम कर रहे हैं। यह वक्त खामी निकालने का नहीं है। गुरुवार की ही सुबह अधोईवाला निवासी एक कोरोना संक्रमित महिला यहां आई थी। ऑक्सीजन का स्तर करीब 35 था और उसे कहीं बेड नहीं मिल रहा था। यहां उसे बाइपैप लगाई गई। शाम तक ऑक्सीजन का स्तर 80 प्लस हो जाने पर उसे कोरोनेशन अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। तात्कालिक व्यवस्था के अंतर्गत हमने एक प्रयास किया है। इससे किसी की जान बचती है तो उससे बड़े सुकून की बात कुछ और नहीं है। वैसे भी यह अस्पताल नहीं, स्टेडियम है। यहां जो आपात स्थिति में संभव हो सकता है, वह हम कर रहे।

डा. केपी जोशी (संचालक चारधाम अस्पताल) का कहना है कि आइसीयू के लिए कई तरह के संसाधन जुटाने पड़ते हैं। जिनमें आइसीयू बेड समेत मॉनीटर, वेंटिलेटर व इंट्यूबेशन का सामान आदि होता है। इसके अलावा स्टाफ के भी मानक तय हैं। दो बेड पर एक नर्स तैनात होनी चाहिए। किसी भी सूरत में 71 लाख रुपये में 30 बेड का आइसीयू तैयार करना मुमकिन नहीं। इसके लिए करोड़ों रुपये की जरूरत होती है।

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