देहरादून की सड़कों पर चलना मुश्किल, बारिश के कारण कीचड़ ही कीचड़
देहरादून की सड़कों पर बारिश के कारण चलना मुश्किल हो गया। स्मार्ट सिटी के कार्यों के कारण कई जगह सड़क पर गड्ढे हो रखे हैं। इससे सड़कों कीचड़ हो रखा है। इस कारण पैदल चलने वालों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। रविवार सुबह से हो रही बारिश के कारण दून की अधिकांश सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। स्मार्ट सिटी के अधूरे कार्यों के कारण कई जगह सड़कें खुदी पड़ी हैं, जिससे वहां कीचड़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। इसके अलावा कई सड़कों पर गड्ढों में पानी भरने से हादसों का खतरा बना हुआ है।
सोमवार को भी गांधी रोड, धामावाला पीपल मंडी, सहस्रधारा रोड के पास ऋषि नगर आदि क्षेत्रों में सड़कों पर कीचड़ जैसे हालात देखने को मिले। जिस कारण पैदल चलने वालों को तो परेशानी झेलनी ही पड़ी, दुपहिया वाहन चालकों को भी हादसे का खतरा बना रहा। वहीं, निरंजनपुर में राजीव जुयाल मार्ग, इंदिरा गांधी मार्ग, पंडितवाड़ी में सड़कों पर कई जगह गड्ढों में भरे पानी के कारण आवाजाही में परेशानी हुई। मोहिनी रोड पुल के पास, एमकेपी चौक, कारगी मार्ग समेत अन्य स्थानों पर जलभराव की समस्या से आमजन परेशान रहे। स्मार्ट सिटी के निर्माण कार्य के तहत कई जगह सीवर लाइन तो बिछा दी गई है, लेकिन उसके मलबे को नहीं हटाया गया है। बारिश के कारण यह मलबा सड़कों पर बह रहा है।
दिनभर रेंगते रहे वाहन
सोमवार को दिनभर हुई बारिश के कारण अधिकांश लोग चौपहिया वाहनों से ही घरों से निकले। जिसके चलते हरिद्वार बाईपास रोड, कारगी रोड, घंटाघर, सहारनपुर रोड आदि मार्गों पर वाहन रेंगते हुए आगे बढ़े। कुछ ऐसा ही नजारा गांधी रोड पर भी दिखा। हालात यह थे कि कहीं भी पुलिस ट्रैफिक को नियंत्रित करती हुई नहीं दिखी। जिससे आमजन को दस मिनट का सफर आधे से एक घंटे में तय करना पड़ा।
जिलाधिकारी ने कंट्रोल रूम की व्यवस्था परखी
राज्य मौसम विज्ञान केंद्र की चेतावनी को देखते हुए जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार ने सोमवार को स्वयं जिला आपदा परिचालन केंद्र की कमान संभाली। उन्होंने केंद्र में सभी व्यवस्था का जायजा लिया। जिलाधिकारी ने कहा कि आपदा बिन बुलाए मेहमान की तरह होती है। इसके आने का कोई समय नहीं होता। हो सकता है कि दिनभर सब कुछ सामान्य रहने के बाद रात को अचानक कोई घटना हो जाए।
लिहाजा, चेतावनी को देखते हुए 24 घंटे हाई अलर्ट मोड में रहने की जरूरत है। यदि कहीं कोई दुर्घटना होती है तो आपदा प्रबंधन के लिहाज से अविलंब राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया जाए। हर एक कार्रवाई की त्वरित रिपोर्टिंग भी की जाए। उन्होंने सभी उपजिलाधिकारियों को निगरानी तंत्र मजबूत करते हुए पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष निगाह बनाए रखने को कहा। साथ ही कहा कि जो आबादी नदी-नालों किनारे बसी है, उन स्थलों का लगातार अपडेट लिया जाए। इसके अलावा अवकाश को देखते हुए निर्देश दिए गए कि पर्यटन स्थलों में पर्यटकों को नदी, तालाब व झरनों में जाने से रोका जाए।
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