सर्दियों में भट्ट की दाल के अलग-अलग जायके, आपको कराते हैं इससे परिचित

भट्ट की दाल से बनने वाले भट्वाणी (चुड़कानी) डुबका भटुला जौला आदि ऐसे ही व्यंजन हैं। ये स्वाद में जितने लाजवाब हैं उतने ही पौष्टिक भी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 14 Dec 2019 12:26 PM (IST) Updated:Sat, 14 Dec 2019 08:42 PM (IST)
सर्दियों में भट्ट की दाल के अलग-अलग जायके, आपको कराते हैं इससे परिचित
सर्दियों में भट्ट की दाल के अलग-अलग जायके, आपको कराते हैं इससे परिचित

देहरादून, जेएनएन। सर्दियों के मौसम में ऐसा भोजन मिल जाए, जो तन में गर्माहट लाने के साथ मन में संतुष्टि का भाव जगा दे तो कहने ही क्या। भट्ट की दाल से बनने वाले भट्वाणी (चुड़कानी), डुबका, भटुला, जौला आदि ऐसे ही व्यंजन हैं। ये स्वाद में जितने लाजवाब हैं, उतने ही पौष्टिक भी। भट्ट का जौला तो पीलिया की भी रामबाण औषधि है। इन्हीं तमाम गुणों के कारण शहरों में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंडी भी सर्दियों में पहाड़ से भट्ट की दाल मंगाना नहीं भूलते। आइये! आपको भी भट्ट के जायके से परिचित कराते हैं।

भट्वाणी

भट्वाणी या चुड़कानी गढ़वाल में शीतकाल के दौरान सर्वाधिक पसंद किया जाने वाला व्यंजन है। इसके लिए सबसे पहले भट्ट की दाल को बिना तेल या घी के कढ़ाई या तवे में हल्की राख डालकर भून लें। इससे भट्ट बर्तन में चिपकते नहीं और अच्छी तरह चटकते व फूल जाते हैं। अब लोहे की कढ़ाई में घी-तेल डालकर प्याज, लहसुन, जख्या व जम्बू का तड़का दें। साथ ही दो-चार छोटे चेरी टमाटर डालकर जरूरत के हिसाब से नमक, मिर्च व अन्य मसाले मिला लें। ग्रेवी तैयार होने पर इसमें भुने भट्ट डालकर खूब अल्टा-पल्टी करते रहें। फिर ढक्कन रखकर थोड़ी देर तक पकाएं। लगभग आधे घंटे में ही भट्वाणी पककर तैयार हो जाएगा। इसे आप भात (चावल)-झंगोरा के साथ गर्मागर्म परोस सकते हैं। वैसे भट्वाणी हर सीजन में खाया जा सकता है।

भट्ट का डुबका (एक)

डुबका तैयार करने के लिए भट्ट की दाल रात को पानी में भिगोकर रख दें। अगले दिन उसे सिल-बट्टे या मिक्सी में दरदरा (एकदम महीन नहीं) पीसकर मसीटा बना लें। अब लोहे की कढ़ाई में घी या सरसों का तेल डालकर उसमें लहसुन, प्याज, जख्या, गंदरैण (कढ़ी पत्ता) व जम्बू का तड़का लगाएं। फिर जरूरत के हिसाब से नमक, मिर्च व अन्य मसाले मिला लें। चाहे तो टमाटर भी डाल सकते हैं। ग्रेवी बनने पर पानी में घुले मसीटे का छौंक लगा लें। कढ़ाई में लगातार करछी या कौंचा चलाते रहें अन्यथा डुबका तले में चिपकने लगेगा। जैसे ही रंग थोड़ा काला होने लगे और महक फैलने लगे, समझिए डुबका तैयार है।

भट्ट का डुबका (दो)

भट्ट की दाल को चक्की में पीसकर मोटा आटा जैसा पाउडर बना लें। फिर लोहे की कढ़ाई में घी डालकर उसमें भट्ट का आटा मिला लें। इसे हलुवे की तरह हल्की आंच में भूनें। हल्का भूरा होने पर इसमें नमक मिर्च, धनिया व जीरा मिला लें। थोड़ा गाढ़ापन लाना हो तो दो-चार चम्मच गेहूं का आटा मिलाकर भून सकते हैं। ध्यान रखें कि आटा ज्यादा न भुन जाए, अन्यथा कड़वाहट आ जाएगी। अब कढ़ाई में अंदाज से पानी डाल लें। पानी एक बार ही डालना बेहतर होगा, इससे स्वाद अच्छा रहेगा। डुबका कढ़ाई के तले में न चिपके, इसके लिए बीच-बीच में करछी जरूर चलाते रहें। जब कढ़ाई के ऊपरी हिस्से में डुबका ज्यादा चिपकने लगे और पपड़ी बनने लगे तो समझिए डुबका तैयार है। सर्दियों में ठंड भगाने का इससे बेहतर व्यंजन है।

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भटुला

भटुला डुबके जैसा ही व्यंजन है, लेकिन इसे बनाने का तरीका थोड़ा अलग है। मसलन भट्ट के आटे को पानी में घोलकर रख लें। लोहे की कढ़ाई में छौंके के लिए घी या तेल डालकर प्याज, लहसुन व जख्या का तड़का लगा लें। साथ ही नमक, मिर्च व अन्य मसाले भी भूनकर भट्ट के आटे के घोल का छौंक लगा लें। अंदाज से पानी डालकर इसे पकाते रहें और करछी चलाते रहें। 15-20 मिनट में भटुला तैयार।

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भट्ट का जौला

यह एक मजेदार रेसेपी है, जिसे साग या दाल के रूप में नहीं, बल्कि संपूर्ण भोजन के रूप में खाया जाता है। 'जौला' या 'जौंल्या' शब्द दो अलग-अलग खाद्यों का मेल है, जो भट्ट व चावल के मिश्रण से बनता है। इसके लिए रात को भट्ट की दाल भिगोकर रख दें। सुबह इसे छिलका अलग कर या छिलके सहित ही सिल-बट्टे या अन्य तरीके से पीसकर मसीटा तैयार कर लें। लोहे की कढ़ाई में इस मसीटे को बिना छौंके पकाएं। साथ में जरूरत के हिसाब से चावल भी डाल दें। देर तक पकाते रहें। जब यह पककर बिल्कुल लसपसा हो जाए तो इसके साथ लहसुन वाला हरा नमक मिलाकर खाएं। यह पीलिया की रामबाण औषधि है। पीलिया के रोगी चावल की जगह झंगरियाल बिना नमक के ही खा सकते हैं।

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