Devasthanam Board: उच्च समिति ने सीएम को सौंपी अंतिम रिपोर्ट, हक-हकूकधारियों के हित सुरक्षित रखने के साथ दिए गए ये सुझाव
देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी है। चारधाम के तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों की ओर से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की उठाई जा रही है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Devasthanam Board चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी है। चारधाम के तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों की ओर से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की उठाई जा रही मांग के मद्देनजर सरकार ने यह समिति गठित की थी। समिति के अध्यक्ष ध्यानी के अनुसार रिपोर्ट में उल्लेख है कि बोर्ड के कारण जो हक-हकूकधारी प्रभावित हुए हैं, उनके हित सुरक्षित रखे जाएं। इसके अलावा अन्य कई सुझाव भी सरकार को दिए गए हैं।
त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम अस्तित्व में आया। इसके तहत गठित देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के दायरे में चारधाम व उनसे जुड़े मंदिरों समेत 51 मंदिर लाए गए। बोर्ड के गठन के बाद से ही चारधाम के तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि अधिनियम व बोर्ड के कारण उनके हितों को चोट पहुंची है। वे बोर्ड को भंग करने की मांग उठा रहे हैं।
इस सबको देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समस्या के समाधान को पूर्व सांसद और पंडा-पुरोहित समाज से जुड़े मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की। समिति को तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। समिति ने चारधाम के हक-हकूकधारियों से बातचीत के बाद दो माह में ही अपनी अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर ली।
सोमवार को समिति के अध्यक्ष ध्यानी ने मुख्यमंत्री धामी से सचिवालय में मुलाकात की और उन्हें देवस्थानम बोर्ड के संबंध में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी। दैनिक जागरण से बातचीत में समिति के अध्यक्ष ध्यानी ने कहा कि सरकार ने उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी। रिपोर्ट के जरिये हमने सरकार का सही मार्गदर्शन करने के साथ अधिकारी ठीक ढंग से काम करें इसका उल्लेख किया है। साथ ही अधिनियम में जो त्रुटियां और अच्छाइयां हैं, उनका जिक्र भी रिपोर्ट में किया गया है।
उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड कानून से बंधा है। कानून के मुताबिक जिनके हक-हकूक सुरक्षित हैं, वह अपनी जगह है। अलबत्ता, जिनके हक-हकूक प्रभावित हुए हैं, उसका भी रास्ता निकालकर उनके हित सुरक्षित रखने का सुझाव रिपोर्ट में दिया गया है। बोर्ड भंग करने के संबंध में पूछने पर उन्होंने ऐसे निर्णय सरकार करती है। अपने विवेक से दो माह में हमने पूरा अध्ययन करने के बाद जो बेहतर हो सकता था उसे रिपोर्ट में शामिल किया है। इस पर फैसला लेना सरकार का अधिकार है।
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