इस तरह कैसे आगे बढ़ेगी ई-गवर्नेंस की मुहिम, वेबसाइट पर विभाग सूचनाओं को नहीं कर रहे अपडेट
प्रदेश सरकार की ई-गवर्नेंस की मुहिम को विभाग ही पलीता लगाते नजर आ रहे हैं। स्थिति यह है कि सरकारी वेबसाइट पर भी विभाग सूचनाओं को अपडेट नहीं कर रहे हैं। इससे आमजन को विभाग द्वारा लिए जा रहे निर्णयों के बारे में जानकारी नहीं मिल पा रही है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश सरकार की ई-गवर्नेंस की मुहिम को विभाग ही पलीता लगाते नजर आ रहे हैं। स्थिति यह है कि सरकारी वेबसाइट पर भी विभाग सूचनाओं को अपडेट नहीं कर रहे हैं। इससे आमजन को विभाग की ओर से लिए जा रहे निर्णयों के बारे में जानकारी नहीं मिल पा रही है। सरकारी वेबसाइट पर इस वर्ष केवल सिंचाई विभाग ने अंतिम बार शासनादेश मार्च में डाला था। इसके अलावा किसी और विभाग ने इस वर्ष कोई शासनादेश इस वेबसाइट पर अपलोड करना उचित नहीं समझा।
प्रदेश सरकार इस समय ई-गवर्नेंस पर जोर दे रही है। मकसद यह कि कार्यों में पारदर्शिता आए और आमजन भी सरकार से जुड़ सके। सरकार व शासन द्वारा समय-समय पर सभी विभागों से जारी होने वाले शासनादेशों की एक प्रति सरकारी वेबसाइट पर भी अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए सरकारी वेबसाइट gov.uk.in पर बाकायदा गवर्नमेंट आर्डर नाम से एक आइकन बनाया गया है। इस पर क्लिक करने से सभी विभागों की सूची सामने आ जाती है।
विभाग के नाम पर क्लिक करने से उस विभाग द्वारा जारी किए जा रहे शासनादेश नजर आ जाते हैं। इस पोर्टल को एनआइसी संचालित कर रहा है। अभी स्थिति यह है कि तमाम नई सरकारी योजनाओं से संबंधित शासनादेश इसमें कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। केवल सिंचाई विभाग की सूचना ही कुछ हद तक अपडेट है। यह स्थिति तब है जब शासन लगातार इस वेबसाइट को अपडेट करने के निर्देश देता रहा है।
दरअसल, इसके पीछे मुख्य कारण विभागों की एनआइसी पर निर्भरता है। एनआइसी दो वर्ष पहले सभी विभागों को इस वेबसाइट का पासवर्ड देकर खुद शासनादेश अपडेट करने को कह चुका है, लेकिन विभाग ऐसा नहीं कर रहे हैं। आपसी सामंजस्य की कमी के खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है।
84 विभाग, 33894 शासनादेश
इस वेबसाइट पर 84 विभागों की सूची डाली गई है। इनके वर्ष 2000 से जनवरी 2021 तक के कुल 34537 शासनादेश देखे जा सकते हैं। इनमें भी अधिकांश विभागों ने 2019 के बाद कोई शासनादेश नहीं डाला है।
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