स्कूल तक पैदल सफर करने वाली अर्चना के सपनों को विज्ञान ने लगाए पंख, राकेट में बैठ छुएगी आसमान की ऊंचाइयां

स्कूल तक का सफर पैदल तय करने वाली अर्चना निसाद राकेट में बैठकर आसमान की ऊचाइयों को छूने जा रही हैं। दून की अर्चना समेत उत्तराखंड की चार छात्राओं का चयन अगले साल चेन्नई में होने जा रहे राकेट लांच कार्यक्रम के लिए हुआ है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 01:05 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 01:05 PM (IST)
स्कूल तक पैदल सफर करने वाली अर्चना के सपनों को विज्ञान ने लगाए पंख, राकेट में बैठ छुएगी आसमान की ऊंचाइयां
स्कूल तक पैदल सफर करने वाली अर्चना के सपनों को विज्ञान ने लगाए पंख।

जागरण संवाददाता, देहरादून। घर से स्कूल तक का सफर पैदल तय करने वाली अर्चना निसाद राकेट में बैठकर आसमान की ऊचाइयों को छूने जा रही हैं। दून की अर्चना समेत उत्तराखंड की चार छात्राओं का चयन अगले साल चेन्नई में होने जा रहे राकेट लांच कार्यक्रम के लिए हुआ है। इसमें चारों छात्राओं को राकेट लांच और मिसाइल लांच देखने के साथ ही राकेट में बैठकर आसमान की सैर का मौका भी मिलेगा। 

राजकीय बालिका इंटर कालेज राजपुर रोड में नौवीं की पढ़ाई कर रही अर्चना के लिए ये एक सपने का साकार होने जैसा है। उन्होंने जिज्ञासा, लगन और विज्ञान विषय के प्रति रुचि के बूते यह मुकाम हासिल किया। अर्चना के जैसे ही प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली तीन और छात्राओं को यह अवसर मिला है।

उत्तराखंड की छात्राओं में विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि जगाने के लिए शिक्षा विभाग ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन के साथ एमओयू किया है। यह संस्था सरकारी विद्यालयों में आठवीं और नौवीं कक्षा में पढ़ रहे होनहारों को ड्रोन बनाना और उड़ाना सिखा रही है। इन बच्चों को पिको (छोटे सेटेलाइट बनाना) और उसे लांच करना भी सिखाया जा रहा है।

कई चरण की परीक्षा और प्रतियोगिता पास करने के बाद अर्चना का चयन राकेट लांच कार्यक्रम के लिए हुआ है। अर्चना निसाद अपनी दीदी पूजा और मां उमा देवी के साथ कैनाल रोड पर रहती हैं। उमा देवी कोठियों में सफाई और खाना पकाती हैं, तो बहन सिलाई करती हैं। अर्चना स्कूल तक का सफर भी पैदल ही तय करती है। किसी तरह घर का खर्च चलाने वाले परिवार की बेटी को यह अवसर मिला है। करीब एक साल से चल रहे कार्यक्रम में शामिल होने के बाद अंतरिक्ष विज्ञान के लिए अर्चना की रुचि और जिज्ञासा और बढ़ गई है। वह अंतरिक्ष विज्ञान की पढ़ाई कर वैज्ञानिक बनना चाहती हैं।

ऐसे हुआ चयन

प्रदेश के पांच जिलों में 130 विद्यालयों से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू हुए कार्यक्रम के लिए हर प्रदेशभर से 135 छात्र-छात्राओं का चयन हुआ है। अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन के लर्निंग एवेल्युएशन एंड इंपैक्ट आफिसर प्रातिभ मिश्रा ने बताया कि संस्था के साइंस टेक्नोलाजी इंजीनियरिंग मैथ्स (स्टेम) कार्यक्रम के तहत छात्र-छात्राओं को आधुनिक शिक्षा दी जा रही है। स्पेस जोन इंडिया और प्रतिष्ठित टेक कंपनी आइबीएम के सहयोग से बच्चों को पूरी ट्रेनिंग दी जा रही है। चयनित बच्चों को ड्रोन व मिनी सेटेलाइट बनाने और उसके इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया जाता है।

इसके अलावा बच्चों को कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कराई जाती है और उनके व्यक्तित्व को निखारने के लिए विभिन्न आयोजन किए जाते हैं। संस्था की तरफ से चयनित छात्रों को आनलाइन माध्यम से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कराने के साथ ड्रोन व मिनी सेटेलाइट के संबंध में जानकारियां दी गई हैं। प्रदेशभर से चयनित चार छात्राओं को अब अगले साल स्पेस जोन इंडिया के राकेट लांच कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिलेगा, जिसमें कुछ मिनट तक छात्राएं राकेट में बैठकर आसमान की सैर भी करेंगी।

इन छात्राओं का हुआ चयन

राजीवगांधी नवोदय विद्यालय ननूरखेड़ा की छात्रा आस्था जोशी, जीजीआइसी राजपुर की छात्रा अर्चना निसाद, जीआइसी नालापानी की छात्रा अदिति सिंह और रीता राजकीय इंटर कालेज, श्यामपुर की छात्रा साक्षी।

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