फिर ठंडे बस्ते में गया आढ़त बाजार का चौड़ीकरण, MDDA और स्मार्ट सिटी ने पिछले साल की थी कवायद शुरू
दून का सबसे बड़ा बाटलनेक आढ़त बाजार क्षेत्र में है। सड़क के इस चोक हिस्से को खोलने के लिए एक दशक से भी अधिक समय से कवायद चल रही है मगर कोई भी योजना आज तक परवान नहीं चढ़ पाई। बी
जागरण संवाददाता, देहरादून। वर्तमान में शहर का सबसे बड़ा बाटलनेक आढ़त बाजार क्षेत्र में है। सड़क के इस चोक हिस्से को खोलने के लिए एक दशक से भी अधिक समय से कवायद चल रही है, मगर कोई भी योजना आज तक परवान नहीं चढ़ पाई। बीते साल फरवरी में स्मार्ट सिटी व एमडीडीए ने जरूर इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया था। तब स्मार्ट सिटी के सीईओ व एमडीडीए उपाध्यक्ष की कमान डा. आशीष श्रीवास्तव के ही पास थी। कोरोना संक्रमण के बाद चौड़ीकरण का कार्य प्राथमिकता से दूर हुआ तो अब भी इस दिशा में कुछ भी कवायद नजर नहीं आ रही।
पिछले साल प्रिंस चौक से सहारनपुर चौक के बीच के करीब 550 मीटर भाग को चौड़ा करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया था। चौड़ीकरण के लिए तत्कालीन एमडीडीए उपाध्यक्ष व स्मार्ट सिटी सीईओ डा. आशीष श्रीवास्तव ने प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल समिति के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर सहमति बनाई थी, जिसमें व्यापारियों ने कहा था कि यदि उचित मुआवजा या छूट मिले व धार्मिक प्रतिष्ठानों का उचित ख्याल रखा जाए तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद सड़क का सर्वे भी कराया गया था।
आढ़त बाजार में 13 मीटर ही मिली थी चौड़ाई
सर्वे में पता चला था कि आढ़त बाजार क्षेत्र में सड़क की चौड़ाई सबसे कम है। यहां पर अधिकतम चौड़ाई 13 मीटर पाई गई थी और शेष जगह अधिकतम चौड़ाई 20 मीटर तक थी।
12-12 मीटर चौड़ी करनी थी दोनों लेन
योजना के मुताबिक प्रिंस चौक से लेकर सहारनपुर चौक तक सड़क की दोनों लेन को 12-12 मीटर चौड़ा किया जाना था। चौड़ीकरण के लिए प्रारंभिक चरण में गुरुद्वारा क्षेत्र के 11 आढ़तियों की जमीन का अधिग्रहण किया जाना था। वहीं, कुल 50 भवन चौड़ीकरण की जद में आ रहे थे। हालांकि, कोरोना संक्रमण शुरू होने के बाद से अब तक योजना की दिशा में काम नहीं किया जा सका।
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मुआवजा व अतिरिक्त मंजिल का दिया था विकल्प
चौड़ीकरण योजना में तय किया गया था कि जमीन अधिग्रहण के बाद जो व्यापारी व अन्य व्यक्ति मुआवजा चाहते हैं, उन्हें उचित राशि प्रदान की जाएगी। वहीं, मुआवजे न लेने की दशा में तय किया गया था कि शेष जमीन पर जितनी मंजिल बनाई जा सकती है, वहां एक मंजिल अतिरिक्त निर्माण की छूट दी जाएगी।
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