निरस्त होंगे कूड़ा उठान के लिए किराए पर लगने वाली 35 ट्रैक्टर ट्राली के टेंडर, जानिए वजह

शहर का कूड़ा उठान के लिए किराए पर लगने वाली 35 ट्रैक्टर ट्राली का टेंडर निरस्त किया जाएगा। जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार टेंडर में शामिल सभी कंपनियों के दस्तावेजों में खामी है। समिति की रिपोर्ट नगर आयुक्त अभिषेक रूहेला ने महापौर सुनील उनियाल गामा को भेज दी है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 01:08 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 01:08 PM (IST)
निरस्त होंगे कूड़ा उठान के लिए किराए पर लगने वाली 35 ट्रैक्टर ट्राली के टेंडर, जानिए वजह
निरस्त होंगे कूड़ा उठान के लिए किराए पर लगने वाली 35 ट्रैक्टर ट्राली के टेंडर, जानिए वजह।

जागरण संवाददाता, देहरादून। नगर निगम की तरफ से शहर का कूड़ा उठान के लिए किराए पर लगने वाली 35 ट्रैक्टर ट्राली का टेंडर निरस्त किया जाएगा। जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार टेंडर में शामिल सभी कंपनियों के दस्तावेजों में खामी है। समिति की रिपोर्ट नगर आयुक्त अभिषेक रूहेला ने मंगलवार को महापौर सुनील उनियाल गामा को भेज दी है। महापौर ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट अभी देखी नहीं है, लेकिन उन्हें पता बताया गया है कि कोई भी कंपनी शर्तें पूरी नहीं कर पा रही है। केवल एक कंपनी कुछ हद तक कामयाब हो पाई है। ऐसे में टेंडर निरस्त ही किए जाएंगे। अब दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।

ट्रैक्टर ट्राली के नए टेंडर कराना इस बार नगर निगम के लिए मुसीबत बन चुका है। पिछले माह भी टेंडर निरस्त करना पड़ा था और इस बार भी यही नौबत आ रही। नगर निगम ने जो दो नई शर्तें जोड़ी हैं, वह कोई कंपनी पूरा करने में सफल नहीं हो पा रही। दरअसल, ट्रैक्टर ट्राली का बेहद कम संख्या में व्यावसायिक पंजीयन होता है। ज्यादातर ट्रैक्टर ट्राली कृषि उपयोग के तहत पंजीकृत कराए जाते हैं। निगम ने शर्त रखी हुई है कि सभी ट्रैक्टर व ट्राली व्यावसायिक पंजीकृत होने चाहिए। इसके अलावा जीपीएस लगा होना भी अनिवार्य है। यह दोनों अड़चन तो थी ही, साथ ही दस्तावेजों में भी कंपनियों ने झोल किया हुआ था। महापौर ने बताया कि बुधवार को फाइल देखने के बाद टेंडर निरस्तीकरण का फैसला लिया जाएगा।

सांठगांठ पर फिरा पानी

ट्रैक्टर ट्राली के टेंडर में निगम के कुछ अधिकारी अपनी-अपनी कंपनियों के लिए सांठगांठ में लगे हुए थे, मगर उनकी मंशा पर अब पानी फिर गया है। कोई उत्तरकाशी की कंपनी की पैरवी में लगा हुआ था, तो कोई दून की कंपनी की। हैरानी वाली बात ये है कि कोई भी कंपनी शर्तें पूरी करना तो दूर दस्तावेज पूरे देने में भी सफल नहीं हो सकी। कंपनियों ने पुरानी आइटीआर लगाई और दूसरे व्यक्तियों के पैनकार्ड जमा किए। यही वजह रही कि निगम को टेंडर निरस्त करने पड़ रहे। वहीं, एक कंपनी ने चेतावनी दी है कि अगर निगम टेंडर निरस्त करता है तो वह अदालत की शरण लेगी।

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