सर्वर डाउन होने से ठप पड़ा आनलाइन राशन वितरण, बार-बार शिकायत के बाद भी वेबसाइट में सुधार नहीं

दून में आनलाइन राशन वितरण व्यवस्था ठप पड़ गई है। बार-बार सर्वर डाउन होने की शिकायत करने के बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं होने से राशन डीलरों में रोष है। राशन डीलरों ने विभाग से वेबसाइट में सुधार करने या आनलाइन वितरण व्यवस्था बंद करने की मांग की है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 03:01 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 03:01 PM (IST)
सर्वर डाउन होने से ठप पड़ा आनलाइन राशन वितरण, बार-बार शिकायत के बाद भी वेबसाइट में सुधार नहीं
सर्वर डाउन होने से ठप पड़ा आनलाइन राशन वितरण।

जागरण संवाददाता, देहरादून। खाद्य विभाग की वेबसाइट का सर्वर डाउन होने से जिले में आनलाइन राशन वितरण व्यवस्था ठप पड़ गई है। बार-बार सर्वर डाउन होने की शिकायत करने के बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं होने से राशन डीलरों में रोष है। राशन डीलरों ने विभाग से वेबसाइट में सुधार करने या आनलाइन वितरण व्यवस्था बंद करने की मांग की है। 

आनलाइन राशन वितरण के लिए चल रही तमाम कवायदों पर विभाग की अनदेखी ही भारी पड़ रही है। खाद्य विभाग की वेबसाइट का सर्वर डाउन होने के चलते बायोमैट्रिक और आनलाइन राशन वितरण नहीं हो पा रहा है। पटेल नगर स्थित राशन डीलर संजय वर्मा ने बताया कि वह लंबे समय से आनलाइन राशन वितरण कर रहे हैं। लेकिन विभाग की वेबसाइट इतनी धीमी है कि एक व्यक्ति को राशन देने में 15 से 20 मिनट तक लग जाता है। पिछले कुछ दिनों से तो वेबसाइट खोलना तक मुश्किल हो गया है।

पूर्ति विभाग के अधिकारियों से इसकी शिकायत की जा चुकी है, लेकिन इसमें कोई सुधार नहीं हुआ। उधर, जिला पूर्ति अधिकारी जसवंत सिंह कंडारी ने बताया कि महीने के पहले दो हफ्तों मेें वेबसाइट पर लोड ज्यादा होने के कारण बायोमैट्रिक  आनलाइन राशन वितरण में समस्या हो रही है। इसकी जानकारी मुख्यालय को दे दी गई है।

अन्न दिवस का बहिष्कार करेंगे राशन डीलर

सरकार एक नवंबर को अन्न दिवस मनाने की तैयारी कर रही है। लेकिन इससे पहले ही राशन डीलरों में इसका विरोध शुरू हो गया है। सस्ता गल्ला विक्रेता परिषद के अध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता ने कहा कि दो साल बीतने को हैं, लेकिन राशन डीलरों ने कोरोना के दौरान मुफ्त में जो राशन बांटा उसका कमीशन और भाड़ा अब तक जारी नहीं हुआ है। प्रदेशभर के राशन डीलरों का करोड़ों रुपया अपने जेब से खर्च किया, कोरोना में अपनी एवं परिवार की चिंता छोड़ दूसरों के लिए काम किया। बावजूद इसके उनके हक का पैसा उन्हें नहीं मिल रहा।

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