नहीं कोई कर्ज, वेतन बना सबसे बड़ा मर्ज, दून नगर निगम वेतन पर खर्च कर रहा सालाना 81 करोड़ रुपये
प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम दून की वित्तीय स्थिति ठीक होने के साथ भले वह आत्मनिर्भर भी है लेकिन सालाना वेतन पर हो रहा खर्च उसका सबसे बड़ा मर्ज बन चुका है। शहर विकास कार्यों और मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहा है।
अंकुर अग्रवाल, देहरादून: प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम दून की वित्तीय स्थिति ठीक होने के साथ भले वह आत्मनिर्भर भी है, लेकिन सालाना वेतन पर हो रहा खर्च उसका सबसे बड़ा 'मर्ज' बन चुका है। शहर विकास कार्यों और मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहा है, जबकि निगम वेतन पर 81 करोड़ रुपये सालाना खर्च कर रहा। शहर के पुराने 60 वार्डों पर तो निगम की 'कृपा' फिर भी ठीक है, लेकिन नए 40 वार्ड स्वच्छता, स्ट्रीट लाइट, गली या नाली निर्माण जैसे कार्यों की पिछले तीन साल से बाट जोह रहे।
ऐसा नहीं कि निगम कर्जदार है या विकास कार्यों के लिए उसे कर्ज लेने की जरूरत है, लेकिन नए वार्डों में विकास कार्यों को लेकर वह राज्य सरकार का मुंह ताक रहा। इसके पीछे निगम अधिकारी तर्क दे रहे कि राज्य वित्त आयोग से उसे मौजूदा समय में वही राशि मिल रही जो साठ वार्डों के समय मिलती थी, यदि सरकार राशि को बढ़ा दे तो वह नए वार्डों में पर्याप्त खर्च कर सकता है।
मौजूदा वक्त में नगर निगम शहरीजन की मूलभूत सुविधा मसलन, स्वच्छता, गली व नाली निर्माण, पथ प्रकाश आदि पर सालाना 30 से 35 करोड़ रुपये खर्च होने का दावा कर रहा। आय पर गौर करें तो उसे सालाना राज्य वित्त आयोग से 101 करोड़ और केंद्र वित्त आयोग से 25 करोड़ रुपये मिलते हैं। भवन कर, फड़-ठेली शुल्क और अन्य मदों में उसकी आय फिलहाल 55 करोड़ रुपये है। यानी, करीब 176 करोड़ रुपये सालाना बजट का आधा वह वेतन पर खर्च कर रहा है। निगम अधिकारियों की मानें तो सरकार की ओर से महंगाई भत्ते में की गई बढ़ोत्तरी के बाद इस वित्तीय वर्ष से वेतन और पेंशन का सालाना खर्च तकरीबन 90 करोड़ रुपये पहुंच जाएगा।
तीन अधिकारियों का वेतन देती है सरकार, बाकी 2497 का निगम
निगम में स्थायी व अस्थायी अधिकारियों व कर्मचारियों को मिलाकर कुल ढाई हजार कार्मिक हैं। इनमें नगर आयुक्त समेत 2497 कार्मिकों का वेतन निगम स्वयं वहन करता है, जबकि तीन अधिकारियों का वेतन राज्य सरकार देती है। तीन में मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी, वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी समेत मुख्य नगर लेखा परीक्षक शामिल हैं।
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नगर निगम की प्रमुख जिम्मेदारी
महापौर सुनील उनियाल गामा का कहना है कि नगर निगम विकास कार्यों के लिए बजट से समझौता नहीं कर रहा। वार्डों को बजट समान रूप से पर्याप्त दिया जा रहा। वेतन पर सर्वाधिक बजट खर्च हो रहा, जो बड़ी समस्या है, लेकिन निगम प्रयास कर रहा है कि अपने संसाधनों को बढ़ाकर बजट की तंगी को दूर करे।
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