नहीं कोई कर्ज, वेतन बना सबसे बड़ा मर्ज, दून नगर निगम वेतन पर खर्च कर रहा सालाना 81 करोड़ रुपये

प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम दून की वित्तीय स्थिति ठीक होने के साथ भले वह आत्मनिर्भर भी है लेकिन सालाना वेतन पर हो रहा खर्च उसका सबसे बड़ा मर्ज बन चुका है। शहर विकास कार्यों और मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहा है।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 07:40 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 05:09 PM (IST)
नहीं कोई कर्ज, वेतन बना सबसे बड़ा मर्ज, दून नगर निगम वेतन पर खर्च कर रहा सालाना 81 करोड़ रुपये
प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम दून की वित्तीय स्थिति ठीक होने के साथ वह आत्मनिर्भर भी है।

अंकुर अग्रवाल, देहरादून: प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम दून की वित्तीय स्थिति ठीक होने के साथ भले वह आत्मनिर्भर भी है, लेकिन सालाना वेतन पर हो रहा खर्च उसका सबसे बड़ा 'मर्ज' बन चुका है। शहर विकास कार्यों और मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहा है, जबकि निगम वेतन पर 81 करोड़ रुपये सालाना खर्च कर रहा। शहर के पुराने 60 वार्डों पर तो निगम की 'कृपा' फिर भी ठीक है, लेकिन नए 40 वार्ड स्वच्छता, स्ट्रीट लाइट, गली या नाली निर्माण जैसे कार्यों की पिछले तीन साल से बाट जोह रहे।

ऐसा नहीं कि निगम कर्जदार है या विकास कार्यों के लिए उसे कर्ज लेने की जरूरत है, लेकिन नए वार्डों में विकास कार्यों को लेकर वह राज्य सरकार का मुंह ताक रहा। इसके पीछे निगम अधिकारी तर्क दे रहे कि राज्य वित्त आयोग से उसे मौजूदा समय में वही राशि मिल रही जो साठ वार्डों के समय मिलती थी, यदि सरकार राशि को बढ़ा दे तो वह नए वार्डों में पर्याप्त खर्च कर सकता है।

मौजूदा वक्त में नगर निगम शहरीजन की मूलभूत सुविधा मसलन, स्वच्छता, गली व नाली निर्माण, पथ प्रकाश आदि पर सालाना 30 से 35 करोड़ रुपये खर्च होने का दावा कर रहा। आय पर गौर करें तो उसे सालाना राज्य वित्त आयोग से 101 करोड़ और केंद्र वित्त आयोग से 25 करोड़ रुपये मिलते हैं। भवन कर, फड़-ठेली शुल्क और अन्य मदों में उसकी आय फिलहाल 55 करोड़ रुपये है। यानी, करीब 176 करोड़ रुपये सालाना बजट का आधा वह वेतन पर खर्च कर रहा है। निगम अधिकारियों की मानें तो सरकार की ओर से महंगाई भत्ते में की गई बढ़ोत्तरी के बाद इस वित्तीय वर्ष से वेतन और पेंशन का सालाना खर्च तकरीबन 90 करोड़ रुपये पहुंच जाएगा।

तीन अधिकारियों का वेतन देती है सरकार, बाकी 2497 का निगम

निगम में स्थायी व अस्थायी अधिकारियों व कर्मचारियों को मिलाकर कुल ढाई हजार कार्मिक हैं। इनमें नगर आयुक्त समेत 2497 कार्मिकों का वेतन निगम स्वयं वहन करता है, जबकि तीन अधिकारियों का वेतन राज्य सरकार देती है। तीन में मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी, वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी समेत मुख्य नगर लेखा परीक्षक शामिल हैं।

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नगर निगम की प्रमुख जिम्मेदारी

नाले/नालियों की सफाई-रख-रखाव। वार्ड की भीतरी सड़कों का निर्माण और उनकी सफाई/ झाड़ू और गंदगी, कूड़ा आदि हटाना। घर-घर से कूड़ा उठान की नियमित सेवा देना व उसका निस्तारण करना। खतरनाक बीमारियों की रोकथाम और इलाज (वैक्सीन का इंतजाम करना)। श्मशान और कब्रिस्तानों का रखरखाव और संचालन करना। जन्म और मृत्यु पंजीकरण व प्रमाण-पत्र जारी करना। अस्पताल डिस्पेंसरी बनवाना। स्लाटर हाउस और वेंडिंग जोन बनवाना। शिक्षा को बढ़ावा देना प्राइमरी स्कूल के स्तर पर व लाइब्रेरी बनवाना। लावारिस और यतीम बच्चों के घर बनवाना। जच्चा-बच्चा केंद्र बनाना और उनका रखरखाव। खतरनाक भवनों की पहचान और उन्हें ध्वस्त करना। अवैध निर्माण, अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करना। पथ प्रकाश की व्यवस्था करना। गलियों के नाम व घरों के नंबर देना। आमजन के लिए पार्क बनाना और उनकी देख-भाल करना। आमजन के आॢथक और समाजिक विकास के लिए योजना बनाना और लागू करना। बेसहारा और गरीब बेघर जन के रहने के लिए रैन-बसेरे बनवाना। वाहनों की पार्किंग और शेड बनवाना। सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण, सफाई और रखरखाव करना।

महापौर सुनील उनियाल गामा का कहना है कि नगर निगम विकास कार्यों के लिए बजट से समझौता नहीं कर रहा। वार्डों को बजट समान रूप से पर्याप्त दिया जा रहा। वेतन पर सर्वाधिक बजट खर्च हो रहा, जो बड़ी समस्या है, लेकिन निगम प्रयास कर रहा है कि अपने संसाधनों को बढ़ाकर बजट की तंगी को दूर करे।

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