डीएम ने दी चेतावनी, बोले- अधिकारियों का फोन बंद आया तो डिजास्टर एक्ट में होगा मुकदमा दर्ज

देहरादून के डीएम डा. आर राजेश कुमार ने कहा कि आपदा की घटना के दौरान अधिकारियों के फोन बंद मिलने की बात सामने आई है। यह ठीक नहीं है। अगर अब अधिकारियों का फोन बंद आया तो डिजास्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज होगा।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 09:59 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 09:59 AM (IST)
डीएम ने दी चेतावनी, बोले- अधिकारियों का फोन बंद आया तो डिजास्टर एक्ट में होगा मुकदमा दर्ज
देहरादून के जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार।

जागरण संवाददाता, देहरादून। मानसून सीजन में भारी बारिश का दौर जारी है। मौसम विज्ञानी मानसून के आगे बढ़ने का अनुमान भी लगा रहे हैं। साथ ही इस सीजन में प्राकृतिक आपदा की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। लिहाजा, जिलाधिकारी ने आपदा के दौरान मशीनरी को अलर्ट मोड में रहने की हिदायत दी है कि कोई भी जिलास्तरीय अधिकारी अपना फोन बंद नहीं रखेगा। यदि ऐसा पाया जाता है तो संबंधित के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम (डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट) में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

शुक्रवार को जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार ने कहा कि आपदा की घटना के दौरान अधिकारियों के फोन बंद मिलने की बात सामने आ रही है। यह स्थिति ठीक नहीं है। क्योंकि आपात स्थिति में संबंधित विभाग के अधिकारियों के अलावा अन्य अधिकारियों की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में सभी जिला स्तरीय अधिकारी अपना फोन ऑन रखेंगे। अपरिहार्य स्थिति के अलावा फोन बंद पाए जाने को आदेश की अवहेलना माना जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि रेंडम आधार पर किसी भी अधिकारी को कॉल कर उनकी सक्रियता का आकलन किया जा सकता है।

त्यूणी के गांव का भ्रमण करेंगे जिलाधिकारी

जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार आज शनिवार को सीमांत त्यूणी ब्लाक के गांव का भ्रमण करेंगे। यहां बाणा-चिल्हाड़ गांव में क्षेत्रवासियों की समस्या सुनने के साथ ही वे रात्रि विश्राम करेंगे। उन्होंने क्षेत्रवासियों को भ्रमण की जानकारी देने और शिकायत लाने के लिए अधीनस्थों को निर्देशित किया है।

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लक्ष्य कार्यक्रम में उत्तराखंड को दूसरा स्थान

केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्रालय की ओर से चलाए जा रहे 'लक्ष्य कार्यक्रम' में उत्तराखंड को दूसरा स्थान मिला है। यह कार्यक्रम मातृत्व देखभाल की गुणवत्ता में सुधार लाने को संचालित किया जा रहा है। जिसके तहत लेबर कक्ष, आपरेशन थियेटर और प्रसूति संबंधी देखभाल इकाइयों को बेहतर बनाया जाना है। इनमें गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं उपलब्ध होने पर राष्ट्रीय स्तर से प्रमाण पत्र दिया जाता है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मातृ एवं शिशु मृत्युदर को कम करना है। जिसके तहत उत्तराखंड के चार जनपदों (देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर व नैनीताल) से 11 लेबर रूम व सात मैटरनिटी ओटी को लक्ष्य कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं को दी जा रही सुविधाओं के आधार पर राष्ट्रीय स्तर से सर्टि‍फिकेशन प्राप्त हुआ है। स्वास्थ्य महानिदेशक डा. तृप्ति बहुगुणा ने बताया कि 'लक्ष्य कार्यक्रम' अभी चार जनपदों में संचालित किया जा रहा है। इसे अब अन्य जिलों में भी शुरू किया जाएगा। इधर, स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने भी विभागीय अधिकारियों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

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