देहरादून: आरटीओ के बाहर व्यवसायिक बीमा कर सरकार को लगा रहे थे चूना, चार दलाल गिरफ्तार

दून में पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने आरटीओ कार्यालय के बाहर सस्ते दामों में व्यवसायिक वाहनों का बीमा कराने वाले चार दलालों को गिरफ्तार किया है। आरोपित आनलाइन बीमा करवाकर राजस्व को चूना लगा रहे थे।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 09:57 AM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 09:50 PM (IST)
देहरादून: आरटीओ के बाहर व्यवसायिक बीमा कर सरकार को लगा रहे थे चूना, चार दलाल गिरफ्तार
देहरादून: आरटीओ के बाहर व्यवसायिक बीमा कर सरकार को लगा रहे थे चूना।

जागरण संवाददाता, देहरादून। वाहनों का फर्जी बीमा प्रमाण-पत्र बनाकर वाहन संचालक व सरकार को करोड़ों की चपत लगाने वाले गिरोह का भंड़ाफोड़ करते हुए उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने चार आरोपितों को दबोच लिया। आरटीओ कार्यालय के बाहर एक कामन सर्विस सेंटर से यह गिरोह संचालित हो रहा था। बस, ट्रक, टैक्सी व मैक्सी समेत ट्रैक्टर या कार के नंबर पर बाइक व स्कूटी का प्रीमियम भरा जाता था, मगर बीमा का प्रिंट-आउट देते समय फोटोशाप के माध्यम से उसमें वाहन की असल श्रेणी दर्ज कर दी जाती थी। बीमा प्रमाण-पत्र में धनराशि भी वाहन की श्रेणी के अनुसार बढ़ा दी जाती। यह फर्जीवाड़ा आनलाइन चेक करने पर भी पकड़ में नहीं आ पाता था।

एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि बीते दिनों दून-विकासनगर मार्ग पर एक निजी बस का बीमा फर्जी पाया गया था। इसमें प्रीमियम स्कूटी का भरा गया था मगर बीमा प्रमाण-पत्र पर श्रेणी एवं प्रीमियम बस का दर्ज था। जिस पर एसटीएफ ने गोपनीय जांच शुरू की तो पता चला कि एक गिरोह आरटीओ कार्यालय के बाहर से यह फर्जीवाड़ा कर रहा। यहां व्यावसायिक वाहन का बीमा वास्तविक कीमत से बहुत कम शुल्क में किया जा रहा था। पर्याप्त साक्ष्य एकत्र होने के बाद एसटीएफ ने मंगलवार सुबह गिरोह के ठिकाने पर दबिश दी और तीन आरोपितों (आरटीओ दलाल या एजेंट) को आरटीओ कार्यालय के बाहर से दबोच लिया। इनमें से एक प्रदीप गुप्ता निवासी इंदिरा कालोनी का आरटीओ के बाहर कामन सर्विस सेंटर एवं आधार केंद्र है। आरोपित की निशानदेही पर एक अन्य आरोपित भी दबोच लिए गए। बाकी तीनों में मंसूर हसन निवासी ब्रह्मपुरी निरंजनपुर, महमूद निवासी रक्षा विहार और नीरज कुमार निवासी जनता रोड, सहारनपुर शामिल हैं। यह तीनों भी दलाल हैं। गिरोह का संचालक प्रदीप गुप्ता बताया जा रहा।

आरोपितों से पूछताछ में पता चला कि वर्ष 2018 व इसके बाद कोविड के दौरान सभी बीमा कंपनियों ने आनलाइन बीमा पालिसी बनाने की सुविधा शुरू कर दी थी। इसमें पेटीएम, फोन-पे और पालिसी बाजार के माध्यम से एचडीएफसी एग्रो जनरल इंश्योरेंस, बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस जैसी कंपनियों से वाहनों का बीमा कराया जाता है। एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि कई दलाल बीमा कंपनी के एजेंट भी बने हुए हैं, जिनके पास अपना रजिस्ट्रेशन नंबर होता है। रजिस्ट्रेशन नंबर से यह बीमा कंपनी के पोर्टल पर लाग-इन कर वाहन का बीमा करते हैं और आनलाइन दर्ज की जाने वाली जानकारी में छेड़छाड़ करते हैं।

ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा

बीमा करते हुए 18 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता है। दुपहिया का बीमा कम, जबकि चौपहिया का ज्यादा प्रीमियम होता है। यह गिरोह आनलाइन प्रक्रिया में नंबर चौपहिया वाहन का दर्ज करते थे, लेकिन प्रीमियम से पूर्व वाहन की श्रेणी बदलकर दुपहिया कर देते थे। ऐसे में प्रीमियम दोपहिया का जमा करते थे, जबकि प्रमाण-पत्र के प्रिंट आउट में वाहन की श्रेणी बदलकर असली वाली दर्ज कर दी जाती थी। बीमा कराने के दौरान वाहन का असल नंबर भरा जाता, ताकि कंपनी के डाटाबेस में यह पकड़ में न आ सके। बस भुगतान के वक्त ही वाहन श्रेणी बदली जाती थी। इससे सरकार को जीएसटी में भी लाखों की चपत लग रही थी।

फर्जी बीमा पर दौड़ रहे हजारों वाहन

आरटीओ के सभी कार्य जिसमें फिटनेस, वाहन ट्रांसफर, एनओसी, हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट, रजिस्ट्रेशन आदि के लिए वाहन का बीमा होना आवश्यक होता है। कागजों की जांच में परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के पोर्टल पर वाहन का नंबर दर्ज करने पर रजिस्टे्रशन नंबर व बीमे की वैधता की तिथि ही दिखती है। यह जांचने के बाद आरटीओ कार्यालय वाहन पास कर देता है। आशंका है कि गिरोह से कराए फर्जी बीमे पर हजारों वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं।

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