सुनिये वित्त मंत्री जी, उत्तराखंड के शिक्षकों की मांग; जीडीपी का छह फीसद हो शिक्षा बजट

आगामी बजट से प्रदेश के शिक्षकों को भी काफी उम्मीदें हैं। उनका मानना है कि देश में शिक्षा पर ज्यादा से ज्यादा खर्च किए जाने की जरूरत है। शिक्षकों का कहना है कि जीडीपी का कम से कम छह फीसद शिक्षा पर खर्च हो।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 12:20 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 12:20 PM (IST)
सुनिये वित्त मंत्री जी, उत्तराखंड के शिक्षकों की मांग; जीडीपी का छह फीसद हो शिक्षा बजट
उत्तराखंड के शिक्षकों की मांग; जीडीपी का छह फीसद हो शिक्षा बजट।

जागरण संवाददाता, देहरादून। आगामी बजट से प्रदेश के शिक्षकों को भी काफी उम्मीदें हैं। उनका मानना है कि देश में शिक्षा पर ज्यादा से ज्यादा खर्च किए जाने की जरूरत है। शिक्षकों का कहना है कि जीडीपी का कम से कम छह फीसद शिक्षा पर खर्च हो, तब जाकर देश में शिक्षा क्षेत्र में बड़ा सुधार आ सकता है। प्राथमिक शिक्षकों का कहना है कि नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक विद्यालयों के लिए भी अलग बजट की व्यवस्था जरूरी है। इसके अलावा शिक्षक आगामी बजट में आयकर योग्य आय की सीमा बढ़ने की उम्मीद भी संजोए हैं। 

उत्तरांचल प्रधानाचार्य परिषद के प्रदेश महामंत्री अवधेश कुमार कौशिक का कहना है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से उम्मीद है कि शिक्षा बजट को बढ़ाया जाए। जिससे सरकारी शिक्षा व्यवस्था का ढांचा सुधरे और अधिक से अधिक छात्र व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें। इस बजट में वेतनभोगी शिक्षकों व आमजन को इनकम टैक्स में भी अधिक से अधिक छूट मिलनी चाहिए।

उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ देहरादून के जिलामंत्री अनिल कुमार नौटियाल ने कहा, आयकर योग्य आय की सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर पांच लाख की जानी चाहिए। टैक्स रिवेट को वर्तमान में जो दो विकल्प दिए हैं, वो एक ही होना चाहिए। सैस की दर दो फीसद होनी चाहिए। महंगाई पर अंकुश लगना चाहिए।

उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौहान का कहना है कि आम बजट में शिक्षा के लिए जीडीपी के छह प्रतिशत का प्रविधान होना चाहिए। प्री-प्राइमरी के लिए बजट की अलग व्यवस्था हो। आयकर का दायरा बढ़े। पुरानी पेंशन को दोबारा लागू किया जाए। दैनिक उपभोग की वस्तुओं के बढ़ते मूल्य पर भी नियंत्रण का प्रयास हो।

जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ उत्तराखंड के प्रांतीय महामंत्री राजेंद्र बहुगुणा का कहना है कि आगामी बजट में शिक्षा क्षेत्र को जीडीपी का कम से कम छह प्रतिशत दिया जाए। इसके अलावा बचत योजनाओं को प्रोत्साहत देते हुए छह लाख तक की वार्षिक आय को आयकर के दायरे से बाहर रखा जाए। कोविड-19 से उपजी परिस्थितियों के मद्देनजर स्वास्थ्य, रोजगार, औद्योगिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाना नितांत आवश्यक है।

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