परीक्षा देने को तैयार नहीं एमकेपी-डीएवी के छात्र

दून के सबसे बड़े अशासकीय महाविद्यालयों में शामिल डीएवी और एमकेपी पीजी कॉलेज के छात्र-छात्राएं स्नातक व स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के विरोध में उतर आए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 07:08 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 07:08 PM (IST)
परीक्षा देने को तैयार नहीं एमकेपी-डीएवी के छात्र
परीक्षा देने को तैयार नहीं एमकेपी-डीएवी के छात्र

जागरण संवाददाता, देहरादून: दून के सबसे बड़े अशासकीय महाविद्यालयों में शामिल डीएवी और एमकेपी पीजी कॉलेज के छात्र-छात्राएं स्नातक व स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के विरोध में उतर आए हैं। छात्रों का कहना है कि जिस प्रकार विवि ने प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को प्रोन्नत करने की योजना बनाई है, उसी तर्ज पर अंतिम वर्ष के छात्रों को भी प्रोन्नत किया जाए।

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन स्नातक और स्नातकोत्तर प्रथम व द्वितीय वर्ष के छात्रों को पूर्व परीक्षा परिणाम के आधार पर प्रोन्नत करने जा रहा है। जबकि अंतिम वर्ष के छात्रों की ऑफलाइन परीक्षा कराने की तैयारी चल रही है। इसके विरोध में डीएवी के छात्रसंघ अध्यक्ष निखिल शर्मा ने कॉलेज प्राचार्य डॉ. अजय सक्सेना के माध्यम से सोमवार को विवि की कुलपति को ज्ञापन भेजा। जिसमें कहा गया है कि लॉकडाउन में अधिकतर छात्र-छात्राएं अपने गृह जनपद लौट गए थे, जो फिलहाल देहरादून आने को तैयार नहीं हैं। इसके अलावा प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में ऑफलाइन परीक्षा कराना जोखिम भरा हो सकता है। वहीं, पहाड़ के दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी और विद्युत आपूर्ति अक्सर बाधित रहती है। जिस कारण हजारों छात्र-छात्राएं ऑनलाइन पढ़ाई का पूरा लाभ भी नहीं उठा सके। ऐसे में परीक्षा कराना छात्रों के हित में नहीं होगा।

वहीं, एमकेपी छात्र संघ की उपाध्यक्ष ईरम ने कॉलेज की प्राचार्य को ज्ञापन देकर मांग की कि परीक्षा के बजाय स्नातक व स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष की छात्राओं को प्रोन्नत किया जाए। क्योंकि, कोरोना संक्रमण का खतरा सभी के लिए बराबर है। उन्होंने कहा कि कॉलेज की अधिकांश छात्राएं प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों से हैं। इसके अलावा कॉलेज में परीक्षा देने के दौरान शारीरिक दूरी के नियम का पालन कराना भी आसान नहीं होगा। इस समय प्रदेश में जिस रफ्तार से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, उससे संक्रमण का खतरा ज्यादा है।

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