कबाड़ी की दुकानों में डंप हो रहा खतरनाक इलेक्ट्रॉनिक कचरा Dehradun News
इलेक्ट्रॉनिक कचरा (ई-वेस्ट) के प्रति पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जरा भी संजीदा नहीं है। दून मेंं ऐसा कचरा कबाड़ी की दुकानों पर डंप हो रहा है।
देहरादून, जेएनएन। जो इलेक्ट्रॉनिक कचरा (ई-वेस्ट) भविष्य के लिए बड़ी परेशानी बनता दिख रहा है, उसके प्रति पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जरा भी संजीदा नजर नहीं आ रहा। स्थिति यह है कि ई-वेस्ट कबाड़ी की दुकानों पर डंप हो रहा है और मोबाइल डीलर तक इसके उचित निस्तारण के प्रति जागरूक नहीं है।
गति फाउंडेशन की रिपोर्ट में दून में ई-कचरे की यह स्थिति सामने आई। ई-कचरा हमारे लिए इसलिए भी खतरनाक है कि इससे कैंसर का कारण बनने वाले कैडमियम, क्रोमियम, मर्करी जैसे हानिकारक रसायन निकलते हैं। इस लिहाजा से यह कचरा सामान्य जैविक कचरे से भी अधिक खतरनाक है।
गति फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने बताया कि दून में ई-वेस्ट की स्थिति जानने के लिए मोबाइल कंपनियों के 14 अधिकृत केंद्रों का दौरा किया गया। इसके साथ ही 130 से अधिक लोगों से बातचीत की। इसमें यह चौंकाने वाली बात सामने आई कि दून में ई-कचरा नियम-2016 का सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है।
पता चला कि 94 फीसद मोबाइल डीलरों के पास ई-कचरे के निस्तारण के लिए अलग कूड़ेदान भी नहीं है, जबकि नियम 7(1) में इसका स्पष्ट प्रावधान किया गया है। वहीं, 88 फीसद ई-कचरा नियम-2016 की जानकारी तक नहीं थी। इसी तरह 63 फीसद डीलर ऐसे मिले, जिन्हें ई-वेस्ट शब्द तक की जानकारी नहीं थी।
यह भी हैं नियम, जिनका पालन नहीं
गति फाउंडेशन के कम्युनिकेशंस हेड ऋषभ श्रीवास्तव बताते हैं कि नियम 5 (1) (डी) के अनुसार मोबाइल डीलरों और ब्रांड मालिकों को वापस खरीद स्कीम या डिपॉजिट रिफंड योजना चलानी अनिवार्य है। ताकि खराब हो चुके इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को उपभोक्ताओं से सुरक्षित ढंग से वापस लिया जा सके।
इस तरह की व्यवस्था न होने के चलते उपभोक्ता व डीलर अपने ई-कचरे को कबाड़ी को बेच रहे हैं, जो नियम 7 (3) का उल्लंघन है। यह नियम ई-कचरे को अधिकृत और पंजीकृत रिसाइकिलर्स को सौंपने की बात करता है।
दून में महज चार रिसाइकलर रजिस्टर्ड
पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ई-वेस्ट के नोडल अधिकारी एसपी सिंह के अनुसार दून में करीब चार रजिस्टर्ड रिसाइकलर हैं। हालांकि, उन्हें भी यह पता नहीं है कि उन्हें कितना कूड़ा जा रहा है और कितने कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है।
इस बात को स्वीकार करते हुए ई-वेस्ट के नोडल अधिकारी एसपी सिंह कहते हैं कि आइटीटीए (इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एजेंसी) इसके लिए अधिकृत है। इस बाबत आइटीडीए को पत्र भी लिखा गया है। उनसे पूछा गया है कि कितना इलेक्ट्रॉनिक कचरा उनके पास जा रहा है।
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इसके बाद भी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि ई-कचरे का उचित निस्तारण हो पा रहा है या नहीं। इसके अलावा नोडल अधिकारी ने कहा कि नियमों के अनुसार नगर निगम की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने कचरे से ई-वेस्ट को अलग करे और उसे रिसाइकलर को उपलब्ध कराए।
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