दैनिक जागरण समूह के चेयरमैन योगेंद्र मोहन की अस्थियां गंगा में प्रवाहित, सहजता, सरलता और सजगता की त्रिवेणी था उनका जीवन

Yogendra Mohan जागरण परिवार के मुखिया योगेन्द्र मोहन गुप्त की अस्थियां रविवार को तीर्थनगरी ऋषिकेश में मां गंगा के पावन जल में प्रवाहित की गई। स्वजन ने गंगा तट पर विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 08:27 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 08:27 AM (IST)
दैनिक जागरण समूह के चेयरमैन योगेंद्र मोहन की अस्थियां गंगा में प्रवाहित, सहजता, सरलता और सजगता की त्रिवेणी था उनका जीवन
दैनिक जागरण समूह के चेयरमैन योगेंद्र मोहन की अस्थियां गंगा में प्रवाहित।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। Yogendra Mohan दैनिक जागरण समूह के चेयरमैन और जागरण परिवार के मुखिया योगेन्द्र मोहन गुप्त की अस्थियां रविवार को तीर्थनगरी ऋषिकेश में मां गंगा के पावन जल में प्रवाहित की गई। स्वजन ने गंगा तट पर विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

दैनिक जागरण परिवार के संरक्षक 83-वर्षीय योगेंद्र मोहन का शुक्रवार 15 अक्टूबर को कानपुर में निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार कानपुर में गंगा तट पर किया गया था। रविवार को उनके भाई धीरेंद्र मोहन, ज्येष्ठ पुत्र सुनील गुप्त, कनिष्ठ पुत्र समीर गुप्त, भतीजे तरुण गुप्त, राहुल गुप्त, पुत्रवधू रितु गुप्त, भावना गुप्त, बहू आरती व पोता राघव गुप्त उनका अस्थि कलश लेकर ऋषिकेश पहुंचे। स्वर्गाश्रम के परमार्थ निकेतन गंगा तट पर वैदिक मंत्रोच्चार और विधि-विधानपूर्वक अस्थि कलश का पूजन व श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद अस्थियां पवित्र गंगा में विसर्जित की गईं।

गंगा स्नान के पश्चात स्वजन ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज से भेंट की। जहां परिवारीजनों ने स्वामी चिदानंद सरस्वती के सानिध्य में पर्यावरण संरक्षण और विश्व शांति की कामना के लिए विश्व ग्लोब पर जल चढ़ाया। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने स्व. योगेंद्र मोहन की यादों के रूप में परिवारीजनों को रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया। इससे पूर्व शनिवार को परमार्थ निकेतन की विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती दिवंगत योगेंद्र मोहन को समर्पित की गई।

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्व. योगेंद्र मोहन का व्यक्तित्व अद््भुत था। उनका जीवन सहजता, सरलता और सजगता की त्रिवेणी था। वह विचारों की ऐसी ज्योति जला गए, जो सदैव ज्ञान, विवेक और संस्कारों की मशाल के रूप में जलती रहेगी।

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