Domestic violence: उत्तराखंड में नहीं थम रहे घरेलू हिंसा के मामले, जानें- 2016 से अब तक के आंकड़े

Crime Against Women Case सख्त कानून और तमाम जागरूकता अभियान के बाद भी उत्तराखंड में महिला घरेलू हिंसा के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसकी तस्तीक महिला सशक्तीकरण और बाल विकास विभाग में दर्ज शिकायतें बयां कर रही हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 12 Jan 2021 11:30 AM (IST) Updated:Tue, 12 Jan 2021 02:23 PM (IST)
Domestic violence: उत्तराखंड में नहीं थम रहे घरेलू हिंसा के मामले, जानें- 2016 से अब तक के आंकड़े
Domestic violence: उत्तराखंड में नहीं थम रहे घरेलू हिंसा के मामले।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Crime Against Women Case सख्त कानून और तमाम जागरूकता अभियान के बाद भी उत्तराखंड में महिला घरेलू हिंसा के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसकी तस्तीक महिला सशक्तीकरण और बाल विकास विभाग में दर्ज शिकायतें बयां कर रही हैं। विभाग को बीते चार सालों में राज्यभर से महिला हिंसा की 2314 और बाल यौन शोषण से संबंधित 139 शिकायतें मिली हैं। 

महिलाओं के खिलाफ हिंसा की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार की ओर से हर राज्य में वन स्टॉप सेंटर (सखी) का गठन किया गया है। इसमें पीड़ित  महिलाओं के लिए चिकित्सकीय, कानूनी व मनोवैज्ञानिक परामर्श और सहायता मुहैया कराई जाती है। इसी के तहत मद्देनजर महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के अधीन वर्ष 2016 में राज्य के सभी जिलों में वन स्टॉप सेंटर बनाए गए थे। 

इन सेंटरों में पीड़ित महिलाओं को पांच से 10 दिन तक रखने की व्यवस्था भी है। यह व्यवस्था 24 घंटे चालू रहती है। महिला हेल्पलाइन नंबर 181 पर आई पीडि़त महिलाओं की शिकायतों को वन स्टॉप सेंटर में भेज दिया जाता है। जहां महिलाओं को पांच दिन तक रहने, खाने, कपड़े, स्वास्थ्य सुविधाएं और कानूनी सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है। पांच दिनों के बाद महिला का केस देखते हुए उन्हें नारी निकेतन, महिला छात्रावास या घर भेज दिया जाता है। जबकि कोर्ट में चल रहा केस बरकरार रहता है, जिसके लिए महिलाओं को सरकारी वकील मुहैया करवाया जाता है। 

2395 शिकायतों का निस्तारण 

हिंसा और उत्पीड़न का दंश झेल रही महिलाओं को वन स्टॉप सेंटर (सखी) संबल दे रहा है। पिछले चार वर्षों में कुल 3359 में से 2395 शिकायतों का निस्तारण किया जा चुका है, जबकि लंबित 964 शिकायतों पर सुनवाई जारी है। जिले के प्रत्येक सेंटर पर शिकायत का समाधान के लिए कर्मचारी 24 घंटे तैनात रहते हैं। 

अब तक आई सबसे ज्यादा शिकायतें और निस्तारण 

वर्ष, घरेलू हिंसा, बाल यौन शोषण, यौन अपराध, गुमशुदा और किडनैप

2016-17, 46-46,2-2, 4-4,9-9

2017-18, 179-86,9-5, 22-7,14-12

2018-19, 514-385,19-44,33-22,19-17

2019-20, 882-665,68-24,29-50,31-30

2020-21, 693-423,32-16,29-28,26-25

कुल, 2314-1605,139-82,138-90, 97-95

केंद्र पोषित कार्यक्रम(वन स्टॉप सेंटर) के नोडल अधिकारी अखिलेश मिश्रा ने बताया कि महिलाओं की शिकायतों का समाधान जल्द हो इसका विशेष ख्याल रखा जाता है। इसलिए महिलाओं की तीन काउंसलिंग कराई जाती है। इसके बाद भी अगर वह अलग होना चाहते हैं तो मामले को कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया जाता है। 

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