कोरोनाकाल में बेसहारा लोगों का अंजान बन रहे सहारा, बुजुर्ग को मुखाग्नि देकर पार्षद ने निभाया पुत्र धर्म

कोरोना संक्रमण काल के इस दौर में मानवता के कई रूप नजर आ रहे हैं। पुलिस असहाय व्यक्तियों को ऑक्सीजन और दवा के रूप में राहत दे रही है तो बेसहारा व्यक्तियों की मृत्यु पर अनजान सहारा बन रहे हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 04:08 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 04:08 PM (IST)
कोरोनाकाल में बेसहारा लोगों का अंजान बन रहे सहारा, बुजुर्ग को मुखाग्नि देकर पार्षद ने निभाया पुत्र धर्म
बुजुर्ग को मुखाग्नि देकर पार्षद ने निभाया पुत्र धर्म।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। कोरोना संक्रमण काल के इस दौर में मानवता के कई रूप नजर आ रहे हैं। पुलिस असहाय व्यक्तियों को ऑक्सीजन और दवा के रूप में राहत दे रही है तो बेसहारा व्यक्तियों की मृत्यु पर अनजान सहारा बन रहे हैं। आदर्श नगर निवासी एक रिटायर्ड कर्नल की कोरोना से मौत के बाद नगर निगम पार्षद अजीत सिंह गोल्डी ने उनकी चिता को मुखाग्नि देकर पुत्र धर्म निभाया।

आदर्श नगर शिशु मंदिर के समीप सेना से रिटायर्ड कर्नल विनोद कुमार दत्ता (75 वर्ष) अपनी पुत्रवधू अलका और पौत्र के साथ किराये के मकान में रहते हैं। पुत्र का एक वर्ष निधन हो गया था। कुछ दिन पूर्व उनकी तबीयत खराब हुई उनकी कोविड-19 रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उन्हें ऑक्सीजन की समस्या पैदा हुई तो कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक रितेश शाह ने उन्हें घर पर ऑक्सीजन सुविधा उपलब्ध कराई। 

वरिष्ठ नागरिक विनोद कुमार दत्ता की रविवार की रात करीब साढ़ें 11 बजे मृत्यु हो गई। घर में पुत्रवधू अलका के सिवाय कोई नहीं था। आसपास कोई रिश्ते और नातेदार भी नहीं था। पड़ोस में रहने वाले शैलेश जैन ने बताया कि उन्होंने बुजुर्ग के अंतिम संस्कार के लिए नगर निगम पार्षद अजीत सिंह गोल्डी और शिव कुमार गौतम को सूचित किया। सोमवार की सुबह इन पार्षदों ने एंबुलेंस की व्यवस्था की। बुजुर्ग के पार्थिव शरीर का पूर्णानंद घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। जहां भी मानवता एक नए रूप में नजर आई मुखाग्नि देने के लिए कोई स्वजन नहीं था। इस काम के लिए पार्षद अजीत सिंह गोल्डी आगे आए और एक पुत्र की तरह उन्होंने बुजुर्ग की चिता को मुखाग्नि दी।

तीन किलोमीटर में एंबुलेंस का तीन हजार

रिटायर्ड कर्नल की मृत्यु के बाद स्थानी पार्षद ने मानवता की मिसाल पेश की। इसी दौरान इस घटना से जुड़ा एक अमानवीय पक्ष भी सामने आया। आदर्श नगर से पूर्णानंद घाट मुनिकीरेती तक की दूरी तीन किलोमीटर है। यहां तक पार्थिव शरीर को पहुंचाने के लिए एंबुलेंस संचालक को तीन हजार रुपये दिया गया। बुजुर्ग के पड़ोसी शैलेश जैन ने बताया कि एंबुलेंस के इस किराया के अतिरिक्त एंबुलेंस के शव को उठाने वाले दो कर्मियों को ढाई हजार रुपये अलग से दिया गया। जबकि शासन प्रशासन एंबुलेंस संचालकों की मनमानी पर कार्रवाई नहीं कर रहा है।

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