कोविड ठीक होने के बाद भी लंबे समय तक दिखे लक्षण, मरीजों पर किए अध्ययन में सामने आई बात
देहरादून स्थित मैक्स अस्पताल में पोस्ट कोविड मरीजों पर किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि कोरोना के तीव्र संक्रमण के चार या इससे अधिक सप्ताह बाद मरीज में लंबे समय तक खांसी सांस फूलना थकान महसूस करना स्लीप डिसआर्डर व तेज धड़कन जैसे लक्षण दिखे।
जागरण संवाददाता, देहरादून। देहरादून स्थित मैक्स अस्पताल में पोस्ट कोविड मरीजों पर किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि कोरोना के तीव्र संक्रमण के चार या इससे अधिक सप्ताह बाद मरीज में लंबे समय तक खांसी, सांस फूलना, थकान महसूस करना, स्लीप डिसआर्डर व तेज धड़कन जैसे लक्षण दिखे। चिकित्सकों का कहना है कि इस तरह के लक्षण पल्मोनरी फाइब्रोसिस और मायोकार्डिटिस जैसी समस्याओं से जुड़े होते हैं। इसका असर शरीर के कई अंगों पर पड़ सकता है।
मैक्स हेल्थकेयर के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डा. संदीप बुद्धिराजा की अगुआई में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने देहरादून समेत मैक्स के तीन अन्य अस्पतालों में पोस्ट कोविड मरीजों पर यह अध्ययन किया। अध्ययन में चिकित्सकों ने पाया कि कोविड के बाद उभरने वाले लक्षणों का उम्र, लिंग व बीमारी की गंभीरता से कोई संबंध नहीं है, बल्कि इसका संबंध इस बात से है कि अस्पताल में भर्ती होने के समय बीमारी कितनी गंभीर थी। अध्ययन के लिए पहले फालोअप में 990 मरीजों को शामिल किया गया। इनमें 320 महिला व 670 पुरुष मरीज शामिल रहे।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि एक-तिहाई मरीजों ने अस्पताल में भर्ती होने के समय मधुमेह, रक्तचाप आदि की शिकायत भी की थी। मरीजों की कोविड फालोअप स्टडी दो चरणों में की गई। पहले चरण में टेली इंटरव्यू और दूसरे चरण में प्रश्न तैयार कर मरीजों से उनका उत्तर प्राप्त किया गया। अध्ययन के दौरान चिकित्सकों ने मरीजों पर एक साल तक लगातार लक्षणों का आकलन किया, जिन्हें कोविड के तीव्र असर से ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिली थी।
इसका उद्देश्य कोविड से लंबे समय तक पीड़ित रहने के परिणामों का पता लगाने के साथ ही उन लक्षणों से जुड़े संभावित कारकों की पहचान करना भी था। स्टडी टीम लीडर डा. संदीप का कहना है कि अध्ययन के निष्कर्षों में पाया गया कि लंबे समय तक कोविड के लक्षण लगभग चालीस प्रतिशत मामलों में रहे हैं। करीब 31 फीसद मरीजों में तीन माह से अधिक समय तक कोविड के लक्षण रहे हैं, जबकि 11 फीसद मरीजों में बीमारी की शुरुआत से अगले नौ से बारह महीने तक किसी न किसी रूप में लक्षण दिखे हैं।