48 दिन की मौत का बैकलाग 1217, सरकार से लेकर शासन-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल
कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के बैकलाग से राज्य सरकार के साथ शासन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि इसमें सबसे बड़ी गलती उन अस्पतालों की है जिन्होंने संक्रमित मरीजों की मौत के आंकड़े छिपाने का काम किया।
जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के बैकलाग से राज्य सरकार के साथ शासन, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, इसमें सबसे बड़ी गलती उन अस्पतालों की है, जिन्होंने संक्रमित मरीजों की मौत के आंकड़े छिपाने का काम किया। बहरहाल, स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे अस्पतालों और संबंधित जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को नोटिस भेजकर पूछा जा रहा है कि मौत की सूचना सही समय पर क्यों नहीं दी गई।
प्रदेश में 17 अक्टूबर 2020 से एक जुलाई 2021 तक हुई मौत का बैकलाग 1217 पर पहुंच गया है। यानी इन मरीजों की मौत होने के कई दिन बाद आंकड़े राज्य के कोविड कंट्रोल रूम को भेजे गए। बैकलाग के ये आंकड़े 48 अलग-अलग दिनों के हैं। एक दिन पहले ही 218 मरीजों की मौत के आंकड़ों को बतौर बैकलाग सार्वजनिक किया गया है। इससे कई तरह के सवाल भी उठे हैं।
इससे पहले 17 अक्टूबर 2020 को भी संक्रमित मरीजों की मौत के 89 मामले बतौर बैकलाक सार्वजनिक किए गए थे। इसके बाद 2021 में 14 मई को 65 मामले, 17 मई को 87, 19 मई को 83, 20 मई को 79, 21 मई को 46, 22 मई को 70, आठ जून को 53 और 23 जून को 11 मामले बतौर बैकलाग सार्वजनिक किए गए थे। यह क्रम अब भी जारी है।
सोशल डेवलपमेंट फार कम्युनिटी के संस्थापक और स्वास्थ्य मामलों के जानकार अनूप नौटियाल भी बैकलाग के इन आंकड़ों से हतप्रभ हैं। वह कहते हैं कि स्वास्थ्य विभाग को इस बारे में रिपोर्ट जारी करनी चाहिए, जिससे पता चल सके कि आखिर किन कारणों से संबंधित अस्पतालों ने संक्रमित मरीजों की मौत की सूचना सही समय पर नहीं दी, क्योंकि इनमें निजी ही नहीं, सरकारी अस्पताल भी शामिल हैं। शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि स्वास्थ्य महानिदेशक को सभी सीएमओ से इस संबंध में जानकारी लेने को कहा गया है। लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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