हरिद्वार में 150 की जगह अब 19 दिन में डबल हो रहा है कोरोना, कंटेनमेंट जोन भी बढ़े

प्रदेश के जिन चार जिलों में कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक 85 फीसद मामले दर्ज किए गए हैं उनमें हरिद्वार में कोरोना की रफ्तार सबसे ज्यादा रही।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 04:47 PM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 04:47 PM (IST)
हरिद्वार में 150 की जगह अब 19 दिन में डबल हो रहा है कोरोना, कंटेनमेंट जोन भी बढ़े
हरिद्वार में 150 की जगह अब 19 दिन में डबल हो रहा है कोरोना, कंटेनमेंट जोन भी बढ़े

देहरादून, सुमन सेमवाल। जुलाई में प्रदेश के जिन चार जिलों में कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक 85 फीसद मामले दर्ज किए गए हैं, उनमें हरिद्वार में कोरोना की रफ्तार सबसे ज्यादा रही। जून तक यह जिला सुकून में दिख रहा था और कोरोना संक्रमण के डबल होने की दर भी सर्वाधिक 150 दिन जा पहुंची थी, लेकिन अनलॉक 2.0 में आवाजाही की अधिक छूट ने सारे समीकरण बिगाड़ दिए। 26 जुलाई से एक अगस्त के बीच यहां डबलिंग रेट की स्थिति देखें तो यह 18.97 दिन पर आकर सिमट गई है। जोकि इस तरफ इशारा कर रहा है कि हरिद्वार जिले में संक्रमण की रोकथाम के लिहाज से अधिक प्रयास करने की जरूरत है।

मैदानी जिलों में इस समय देहरादून में सर्वाधिक अंतर 30.36 दिन पर कोरोना डबल हो रहा है, मगर यहां भी डबलिंग रेट में 23 दिन से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, अब यह दर फिर से ऊपर चढऩे लगी है। ऊधमसिंहगनर में भी कोरोना अब चार दिन पहले डबल हो रहा है। नैनीताल में जून-जुलाई में बड़ी संख्या में कोरोना के नए मामले आए थे। बावजूद इसके यहां कोरोना के डबलिंग रेट में हल्का सुधार हुआ है।  

कोरोना का डबलिंग रेट (साप्ताहिक आधार पर)

जिला, एक जुलाई, एक अगस्त

हरिद्वार, 150.39, 18.97

ऊधमसिंहनगर, 25.02, 21.68

नैनीताल, 18.76, 19.17

देहरादून, 54.17, 30.36

कंटेनमेंट जोन भी हरिद्वार में सर्वाधिक

प्रदेश में जितने कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं, उनमें 91.21 फीसद हरिद्वार में ही हैं। इससे भी पता चलता है कि प्रदेश में कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा इसी जिले पर मंडरा रहा है।

ऐसे बदली कंटेनमेंट जोन की तस्वीर

जिला, एक जुलाई, एक अगस्त

हरिद्वार, 68, 301

देहरादून, 15, 13

टिहरी, 05, 00

उत्तरकाशी, 03, 04

ऊधमसिंहनगर, 02, 11

चंपावत, 00, 01

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यह हैं कंटेनमेंट जोन के मानक

जिस क्षेत्र में कोरोना संक्रमण के तीन या चार मामले सामने आते हैं, वहां कंटेनमेंट जोन बनाना जरूरी हो जाता है। हालांकि, ये मामले एक घर की जगह अलग-अलग घरों में आने चाहिएं। इससे यह आशंका रहती है कि कोरोना संक्रमण का प्रसार क्लोज कॉन्टेक्ट के साथ लोकल कॉन्टेक्ट में भी होने लगा है।  

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