उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण की तेज गति ने बढ़ाई चिंता, बीते वर्ष की तुलना में दोगुना मामले बढ़ें

इस बार पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना तेजी से फैल रहा। यहां बीते वर्ष की तुलना में तकरीबन दोगुना मामले बढ़े हैं। इसका कारण प्रवासियों का बिना आरटीपीसीआर जांच के गांवों में आना और यहां क्वारंटाइन सेंटरों की बजाय घर पर आइसोलेशन में रहना माना जा रहा।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 06:35 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 06:35 AM (IST)
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण की तेज गति ने बढ़ाई चिंता, बीते वर्ष की तुलना में दोगुना मामले बढ़ें
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण की तेज गति ने बढ़ाई चिंता।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में इस बार पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इस वर्ष पर्वतीय व ग्रामीण क्षेत्रों में बीते वर्ष की तुलना में तकरीबन दोगुना मामले बढ़े हैं। इसका कारण प्रवासियों का बिना आरटीपीसीआर जांच के गांवों में आना और यहां भी क्वारंटाइन सेंटरों की बजाय घरों में ही आइसोलेशन में रहना माना जा रहा है। ग्रामीण भी बीते वर्ष की भांति जागरूक नहीं हैं। विवाह व अन्य समारोह में कोरोना के नियम टूट रहे हैं। इस कारण यहां संक्रमण की दर बढ़ रही है। 

प्रदेश में इस वर्ष कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ज्यादा घातक साबित हुई है। इस वर्ष संक्रमण के मामलों में खासी वृद्धि दर्ज की गई है। विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में इस बार कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस बार शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण का प्रतिशत 80:20 का है। बीते वर्ष यह 90:10 से भी कम था। माना जा रहा है कि इस बार ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण का मुख्य कारण गांवों में होने वाले विवाह व धार्मिक समारोह के साथ ही बाहर से आने वाले प्रवासी भी हैं। 

दरअसल, विवाह व अन्य समारोह में विभिन्न जिलों में बसे लोग अपने गांव आ रहे हैं। यहां होने वाले समारोह में कोरोना की गाइडलाइन का अनुपालन नहीं हो पा रहा है। इसका अनुपालन कराने के लिए कोई ठोस व्यवस्था भी नहीं है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में प्रवासियों की घर वापसी हो रही है। इन पर निगरानी को इनके रजिस्ट्रेशन और होम आइसोलेशन की व्यवस्था तो की गई, लेकिन आने से 72 घंटे पहले तक की अवधि की आरटीपीसीआर टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट की अनिवार्यता से मुक्त रखा गया है। 

बार्डर पर भी रेंडम एंटीजन टेस्ट हो रहा है। अब हर पंचायत स्तर पर क्वारंटाइन सेंटर बनाने की तैयारी तो है, लेकिन अभी यह शुरू नहीं हो पाया है। पर्वतीय व ग्रामीण क्षेत्रों में टेस्टिंग की सीमित व्यवस्था होने के कारण टेस्टिंग भी कम हो रही है। स्वास्थ्य खराब होने पर ही ग्रामीण टेस्टिंग के लिए आ रहे हैं इससे संक्रमण की आशंका और बढ़ रही है। सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी का कहना है कि पर्वतीय व ग्रामीण क्षेत्रों में इस बार संक्रमण बढ़ रहा है। इसके लिए यहां टेस्टिंग की सुविधा बढ़ाने का प्रयास है। टेस्टिंग के साथ ही दवा की किट भी दी जा रही है, ताकि जल्द से जल्द उपचार शुरू हो सके। 

वापस आने वाले प्रवासियों का विवरण

20 अप्रैल से चार मई तक 

कुल पंजीकरण- 4237620 

अप्रैल से चार मई तक कुल वापसी-120768

चार मई को पंजीकरण- 3544

चार मई को हुई वापसी-9624

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