उत्‍तराखंड में कोरोना के मामले कम मगर 'आर-काउंट' चुनौती, पढ़िए पूरी खबर

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर मंद पड़ चुकी है लेकिन चिंता अभी बरकरार है। क्योंकि कोरोना संक्रमित एक मरीज कई को संक्रमित कर सकता है। एक संक्रमित मरीज कितने व्यक्तियों को संक्रमित कर रहा है इस आंकड़े को रिप्रोडक्शन नंबर यानी आर काउंट के नाम से जाना जाता है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 10:19 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 10:19 PM (IST)
उत्‍तराखंड में कोरोना के मामले कम मगर 'आर-काउंट' चुनौती, पढ़िए पूरी खबर
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर काफी हद तक मंद पड़ चुकी है, लेकिन चिंता अभी बरकरार है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर काफी हद तक मंद पड़ चुकी है, लेकिन चिंता अभी बरकरार है। क्योंकि कोरोना संक्रमित एक मरीज कई को संक्रमित कर सकता है। एक संक्रमित मरीज कितने व्यक्तियों को संक्रमित कर रहा है, इस आंकड़े को रिप्रोडक्शन नंबर यानी आर काउंट के नाम से जाना जाता है। इससे यह संकेत मिलता है कि कोरोना वायरस कितनी तेजी से जन सामान्य को संक्रमित कर रहा है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, आर काउंट को एक अंक से ही नीचे रहना चाहिए, ताकि कोरोना के सक्रिय मामलों में कमी आ सके। आर-काउंट एक से नीचे रहने से संक्रमण पर लगाम कसने में भी मदद मिलती है। पर उत्तराखंड उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है, जहां पर रिप्रोडक्शन नंबर एक से अधिक है। यह न सिर्फ चिंता का विषय है, बल्कि वायरस के संक्रमण को पूरी खत्म करने की दिशा में चुनौती भी है।

इस साल जब कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचानी शुरू की थी तो अप्रैल में राष्ट्रीय आर काउंट बढ़कर 1.61 तक चला गया था। यानी तब एक मरीज से 1.61 लोग संक्रमित हो रहे थे। बीती छह मई को राष्ट्रीय आर काउंट 1.18 पर था, लेकिन दूसरी लहर के ढलान पर आने पर यह काउंट एक अंक से भी नीचे आ गया। चिंता तब बढ़ी, जब 30 जुलाई को यह फिर एक अंक के पार पहुंच गया। रिप्रोडक्शन नंबर के आधार पर देखा जाए तो कुछ राज्य अब भी चिंता का कारण बने हुए हैं। इनमें उत्तराखंड भी शामिल है। जहां आर काउंट 1.17 है।

राज्य में कोरोना के आंकड़ों का विश्लेषण कर रही संस्था सोशल डेवलपमेंट फार कम्युनिटी (एसडीसी) फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार, प्रभावी रिप्रोडक्शन नंबर से पता चलता है कि किसी आबादी में कितने लोग हैं, जो किसी व्यक्ति से संक्रमित हो सकते हैं। यह नंबर तब घटता है, जब लोग तेजी से रोग-प्रतिरोधक होने लगते हैं, चाहे वह संक्रमित होने की वजह से हों या फिर टीकाकरण की वजह से और चाहे मौत होने से।

चिंता इस बात की है कि उत्तराखंड का आर-काउंट दिल्ली, हिमाचल से भी ज्यादा है। दिल्ली में यह 1.01 और हिमाचल प्रदेश में 1.13 है। इसके अलावा केरल व उत्तरी पूर्वी राज्यों में आर-काउंट एक से ऊपर है। केंद्रीय गृह सचिव ने हाल में इन राज्यों को आगाह किया है कि आर-काउंट नियंत्रित रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। खासकर उन जिलों पर ध्यान दिया जाए जहां संक्रमण दर ज्यादा है।

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