आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अब काउंसिलिंग पर छिड़ा विवाद, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड आयुर्वेद विवि आए दिन नए विवादों में घिरा नजर आता है। यहां कभी खरीद कभी नियुक्ति और कभी शुल्क व संसाधनों को लेकर विवाद होते रहे हैं। इस बार मामला यूजी एवं पीजी काउंसिलिंग से जुड़ा है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय आए दिन नए विवादों में घिरा नजर आता है। यहां कभी खरीद, कभी नियुक्ति और कभी शुल्क व संसाधनों को लेकर विवाद होते रहे हैं। इस बार मामला यूजी एवं पीजी काउंसिलिंग से जुड़ा है। निदेशक आयुर्वेद एवं यूनानी सेवाएं डॉ. एमपी सिंह के एक पत्र से इस पर बखेड़ा खड़ा हो गया है।
दरअसल, निदेशक आयुर्वेद एवं यूनानी सेवाएं ने विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुनील जोशी को एक पत्र भेजा है। जिसमें कहा गया है कि शासन ने डॉ. सुरेश चौबे को विश्वविद्यालय का कुलसचिव नियुक्ति किया था। पर कुलपति ने उनके स्थान पर डॉ. उत्तम कुमार शर्मा को कुलसचिव बना दिया और उन्हें सदस्य सचिव के रूप में काउंसिलिंग में प्रतिभाग कराया। यह न केवल उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय अधिनियम एवं परिनियमावली-2015 बल्कि शासन के आदेशों का भी उल्लंघन है। निदेशक आयुर्वेद एवं यूनानी सेवाएं भी काउंसिलिंग बोर्ड के सदस्य होते हैं। ऐसे में उन्हें अंधकार में रख काउंसिलिंग जैसा महत्वपूर्ण कार्य कराया गया। जो खेद का विषय है।
निदेशक ने कहा है कि नियमविरुद्ध व अनाधिकृत रूप से नियुक्त कुलसचिव से काउंसिलिंग कराने के उपरांत यदि भारत सरकार, शासन या न्यायालय स्तर पर कोई वाद या मामला आता है तो उसका उत्तरदायित्व कुलपति व कुलसचिव का होगा। इधर, कुलपति प्रोफेसर का कहना है कि शासन के संज्ञान में लाने के बाद ही नियमानुसार कुलसचिव की नियुक्ति की गई। काउंसिलिंग भी नियमों के तहत ही कराई गई है। इसे लेकर किसी तरह का कोई विवाद नहीं है।
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