Bridge Collapsed Incident: पुल ढहने के संपूर्ण नुकसान का ठेकेदार ही होगा उत्तरदायी
ऑलवेदर रोड पर निर्माण के दौरान पुल ढहने से संपूर्ण नुकसान की भरपाई भी ठेकेदार ही करेगा। कारण यह कि पुल निर्माण का कार्य इपीसी अनुबंध यानी इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट व कंस्ट्रक्शन अनुबंध के तहत किया जा रहा है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। ऑलवेदर रोड पर निर्माण के दौरान पुल ढहने से संपूर्ण नुकसान की भरपाई ठेकेदार ही करेगा। कारण यह कि पुल निर्माण का कार्य इपीसी अनुबंध, यानी इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट व कंस्ट्रक्शन अनुबंध के तहत किया जा रहा है। इस अनुबंध में यह स्पष्ट है कि किसी भी तरह के नुकसान का उत्तरदायी ठेकेदार ही होगा।
ऑलवेदर रोड पर शिवपुरी के निकट रविवार को एक पुल निर्माण के दौरान ढह गया था। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर शासन ने इसकी जांच राष्ट्रीय राजमार्ग इकाई के मुख्य अभियंता सीके बिरला को सौंपी। जांच अधिकारी ने सोमवार को मौका मुआयना किया। अब वह रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रहे हैं। वह मंगलवार को रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे। वहीं, इस मामले में सचिव लोक निर्माण विभाग आरके सुधांशु ने कहा कि पुल ढहने से मृत और घायल मजदूरों का सारा मुआवजा अनुबंध की शर्तों के मुताबिक ठेकेदार ही देगा। निर्माण कार्य में जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई और नए निर्माण का जिम्मा भी संबंधित ठेकेदार का ही होगा। इसके अलावा जांच में लापरवाही अथवा अन्य कोई बिंदू सामने आएगा, तो उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने किया डोबरा-चांठी पुल पर लिखी पुस्तक का विमोचन
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में पत्रकार शीशपाल गुसांई द्वारा लिखित पुस्तक भारत के सबसे बड़े सस्पेंशन पुल डोबरा-चांठी की गाथा का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पुस्तक में लेखक ने डोबरा-चांठी पुल की ऐतिहासिक कहानी के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। पुस्तक में टिहरी के आस-पास के क्षेत्र, टिहरी बांध से जुड़ी उपलब्धियों की जानकारी एवं चित्रण के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों का सुंदर प्रस्तुतीकरण किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुस्तक में डोबरा-चांठी पुल के अलावा भागीरथी एवं भिलंगना घाटियों में बने अन्य पुलों एवं आसपास के क्षेत्रों की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व की जानकारी उपलब्ध कराई गई है।
यह पुस्तक पाठकों को पुरानी टिहरी की यादों को तरोताजा करने में भी मददगार साबित होगी। पुस्तक के लेखक शीशपाल गुसांई ने कहा कि इस पुस्तक में देश के सबसे बड़े झूला पुल डोबरा-चांठी के निर्माण की शुरू से लेकर लोकार्पण तक की कहानी लिखी गई है। इस पुल का निर्माण कार्य पूर्ण होने में जो समय लगा, उस दौरान क्षेत्रवासियों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ा। अब पुल के बनने के बाद यह यातायात के क्षेत्र में जन सुविधा का केंद्र बन गया है। इस अवसर पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, सुरेंद्र सिंह सजवाण, मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक दर्शन सिंह रावत भी उपस्थित थे।