Uttarakhand Politics: पुराने वोट बैंक को सोशल इंजीनियरिंग की नई बिसात

उत्‍तराखंड में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके लिए कांग्रेस ने सोशल इंजीनियरिंग की बिसात बिछा दी है। कांग्रेस आर्य की घर वापसी से अपने परंपरागत वोट बैंक को दोबारा हासिल करना चाहती है। अनुसूचित जाति के 18 फीसद मतदाता हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 11:05 AM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 11:05 AM (IST)
Uttarakhand Politics: पुराने वोट बैंक को सोशल इंजीनियरिंग की नई बिसात
कांग्रेस ने 2022 को साधने के लिए प्रदेश में सोशल इंजीनियरिंग की बिसात बिछा दी है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। कांग्रेस ने 2022 को साधने के लिए प्रदेश में सोशल इंजीनियरिंग की बिसात बिछा दी है। इसके केंद्र में अनुसूचित जाति के 18 फीसद मतदाता हैं। यशपाल आर्य की वापसी के माध्यम से पार्टी अपने परंपरागत वोट बैंक के भरोसे को दोबारा हासिल करना चाहती है। हालांकि, राजनीतिक हलकों में यह भी माना जा रहा है कि पंजाब की तर्ज पर उत्तराखंड में अनुसूचित जाति के नेता को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करने का दांव कांग्रेस शायद ही चले क्योंकि इसके बैकफायर करने का खतरा भी है?

भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यशपाल आर्य को कांग्रेस ने अपने पाले में खींचकर भाजपा की मुश्किलें तो बढ़ाई ही, साथ में एक तीर से दो निशाने भी साधे। आर्य कांग्रेस में भी कद्दावर नेता रहे हैं। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यकाल दो बार संभाल चुके यशपाल आर्य राज्य में अनुसूचित जाति का बड़ा चेहरा हैं। प्रदेश में यह समाज कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक रहा है। आर्य के कांग्रेस में आने से एक पुराने और मजबूत नेता की घर वापसी हुई है। साथ में अनुसूचित जाति के वोट बैंक को सहेजने की ओर पार्टी ने फिर कदम बढ़ा दिए हैं।

दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में बिखराव हुआ था, उससे पार्टी कमजोर होने के साथ ही सोशल इंजीनियरिंग के मोर्चे पर भी कमजोर पड़ी। 2022 की जंग को करो या मरो की तर्ज पर लड़ रही कांग्रेस ने अब विभिन्न स्तर पर कील-कांटे दुरुस्त करने शुरू कर दिए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत पिछले एक महीने से उत्तराखंड में अनुसचित जाति का मुख्यमंत्री बनाने के बयान दे रहे थे। उसे पार्टी की बदली रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। जीत के गणित को साधने के लिए कांग्रेस को भाजपा में सेंधमारी में गुरेज नहीं होगा, यह साफ संकेत भी मिल चुका है।

यह भी पढ़ें:-Uttarakhand Politics: किसान बहुल ऊधमसिंह नगर ने बढ़ाई यशपाल आर्य की चिंता

chat bot
आपका साथी