मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा- मजिस्ट्रेटी जांच में होगा दूध का दूध और पानी का पानी

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफ किया है कि मजिस्ट्रेटी जांच में दूध का दूध और पानी हो जाएगा। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जो निर्दोष होगा उस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। कहा पेशेवर आंदोलनजीवियों के बहकावे में न आएं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 10:59 AM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 10:25 PM (IST)
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा- मजिस्ट्रेटी जांच में होगा दूध का दूध और पानी का पानी
सीएम त्रिवेंद्र रावत ने दिए मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश।

राज्य ब्यूरो, गैरसैंण। दिवालीखाल में ऐसी क्या परिस्थितियां बनीं कि पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार करने के साथ ही लाठीचार्ज करना पड़ा, इसे लेकर तो आने वाले दिनों में मजिस्ट्रेटी जांच में तस्वीर साफ हो जाएगी, लेकिन इतना जरूर है कि यह घटना कई सबक भी दे गई। वह ये कि आंदोलन की कमान संभालने वालों को सतर्क रहना होगा कि जरा सी चूक आंदोलन को कमजोर न पड़ने दे। साथ ही पुलिस तंत्र को भी संयम से काम लेना होगा। उधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफ किया है कि मजिस्ट्रेटी जांच में दूध का दूध और पानी हो जाएगा। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जो निर्दोष होगा, उस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर ग्रामीणों से आग्रह किया कि वे पेशेवर आंदोलनजीवियों के बहकावे में न आएं।

सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के अनुसार दिवालीखाल की घटना के बाद सरकार ने तत्काल गृह मंत्रालय से रिपोर्ट ली तो लोनिवि से भी सड़क चौड़ीकरण के मानकों का ब्योरा लिया। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि पुलिस अधिकारियों की प्रदर्शनकारियों से वार्ता चल ही रही थी कि तभी पुलिस पर पत्थरों के साथ ही कांच व प्लास्टिक की बोतलें फेंकी गईं। इसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हुए। स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को लाठियां फटकारनी पड़ीं। उन्होंने कहा कि आंदोलन अचानक उग्र कैसे हुआ, इसके पीछे कौन लोग थे, ऐसी क्या परिस्थितियां उत्पन्न हो गई थीं, ऐसे तमाम सवालों के मद्देनजर सरकार ने तत्काल घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए।

इससे पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सड़कों के चौड़ीकरण के मानक होते हैं। डेढ़ लेन की सड़क के लिए उस पर करीब तीन हजार वाहनों का आवागमन जरूरी है, जबकि नंदप्रयाग-घाट मार्ग पर केवल तीन सौ वाहन ही रोजाना गुजरते हैं। बावजूद इसके उन्होंने पूर्व में अल्मोड़ा और फिर गोपेश्वर में घोषणा की थी कि ब्लाक मुख्यालयों को जोड़ने वाले मार्ग पर्वतीय क्षेत्र में डेढ़ लेन और मैदानी क्षेत्रों में डबल लेन में तब्दील किए जाएंगे। इसके लिए जल्द कदम उठाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने ट्वीट भी किया कि दिवालीखाल की घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए जा चुके हैं। उन्होंने आंदोलनकारियों से आग्रह किया है कि वे पेशेवर आंदोलनजीवियों के बहकावे में न आएं। सरकार प्रदेश के सभी क्षेत्रों और नागरिकों के विकास के लिए पूरी ईमानदारी से कार्य कर रही है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि दिवालीखाल की घटना की निष्पक्ष जांच के पश्चात दोषियों को उचित दंड दिया जाएगा।

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