हल्द्वानी:: 55 वर्षों से नहीं सुलझा दो राज्यों के बीच सीमा विवाद

चंदराम राजगुरु चकराता पिछले 55 वर्षों से चला आ रहा दो राज्यों के बीच सीमा विवाद उत्तराखंड गठन के बाद भी नहीं सुलझा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 04:03 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 04:03 PM (IST)
हल्द्वानी:: 55 वर्षों से नहीं सुलझा दो राज्यों के बीच सीमा विवाद
हल्द्वानी:: 55 वर्षों से नहीं सुलझा दो राज्यों के बीच सीमा विवाद

चंदराम राजगुरु, चकराता:

पिछले 55 वर्षों से चला आ रहा दो राज्यों के बीच सीमा विवाद उत्तराखंड गठन के 21 वर्षों बाद भी नहीं सुलझ पाया। उत्तर-प्रदेश के समय से सीमा क्षेत्र पर उलझे सीमा विवाद की स्थिति साफ नहीं हो पाई। इस दरमियान कई बार सर्वे को पहुंची राजस्व विभाग व जिला प्रशासन की टीम अभिलेखों की पड़ताल भी कर चुकी है। बावजूद इसके शासन स्तर पर सीमांकन को लेकर निर्णय नहीं हो पाया। सीमा विवाद के चलते सीमा पर अतिक्रमण की समस्या प्रशासन के लिए गले की फांस बन गई है, जिससे पार पाना अब आसान भी नहीं है। सीमा क्षेत्र में अपर जिलाधिकारी प्रशासन के दौरे के बाद भी दोनों राज्य के बीच सीमा का निर्धारण नहीं हो पाया। ऐसे में सीमा क्षेत्र में बसे लोग असमंजस की स्थिति में है। दोनों राज्य के बीच उलझे सीमा विवाद का मामला आखिर कब सुलझेगा इसका जबाव किसी के पास नहीं है।

उत्तराखंड राज्य के देहरादून जनपद की सीमांत त्यूणी तहसील से जुड़े देवघार खत के झिटाड़, कंठग, बानपुर व भाटगढ़ी पंचायत की सीमाएं पड़ोसी राज्य हिमाचल से सटी है। यहां दो राज्यों के बीच उलझे सीमा विवाद को अब तब नहीं सुलझाया जा सका। बीते शनिवार को त्यूणी क्षेत्र के दौरे पर आए अपर जिलाधिकारी प्रशासन डा. एसके बरनाल ने सीमा से सटे गांवों का निरीक्षण कर वास्तविक स्थिति जांची। राजस्व विभाग की टीम के साथ सीमा क्षेत्र के निरीक्षण को पहुंचे एडीएम के दौरे से एक बार फिर से अंतरराज्यीय सीमा विवाद का मामला सुर्खियों में आ गया।

------------------------

समझौते के आधार पर हिमाचल ने नहीं जमा किये रुपये

उत्तर-प्रदेश के शासनकाल के समय में जुलाई 1966 में दोनों राज्यों के बीच सीमा के निर्धारण को मुख्य सचिव स्तर पर हुई बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार उत्तर-प्रदेश और हिमाचल के बीच सीमा क्षेत्र के निर्धारण को सर्वे आफ इंडिया (भारतीय सर्वेक्षण विभाग) से सीमांकन कराने पर सहमति बनी थी। सीमांकन के लिए दोनों राज्यों को 40-40 हजार की धनराशि का अग्रिम भुगतान सर्वे आफ इंडिया को करना था। तब उत्तर-प्रदेश सरकार ने अपने हिस्से के 40 हजार रुपये सर्वे आफ इंडिया के पास जमा कराए थे, लेकिन हिमाचल सरकार ने अपने हिस्से की धनराशि का भुगतान नहीं किया। इससे सीमांकन की कार्रवाई नहीं हो सकी। उत्तर प्रदेश के समय से लंबित सीमा विवाद का मामला वर्ष 2000 में उत्तर-प्रदेश से पृथक हुए उत्तराखंड राज्य गठन के 21 वर्षों बाद भी जस का तस है। करीब साढ़े पांच दशक से लंबित विवाद के नहीं सुलझने से सीमा पर अतिक्रमण की शिकायतें लगातार जारी है।

----------------------

जनकल्याण समिति की शिकायत को गृह मंत्रालय ने संज्ञान में लिया

इसी कड़ी में सर्वे आफ इंडिया से सेवानिवृत्त झिटाड़ निवासी जन कल्याण समिति के अध्यक्ष शूरवीर सिंह चौहान ने मामले की शिकायत गृह मंत्रालय केंद्र सरकार, राष्ट्रीय सचिव अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली व अध्यक्ष उत्तराखंड जनजाति आयोग मूरतराम शर्मा से की है। जिस पर आयोग ने प्रशासन को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। सरकार व आयोग के निर्देशन में जिला प्रशासन ने सीमा विवाद मामले की नए सिरे से जांच पड़ताल शुरू कर दी। सीमा क्षेत्र का निरीक्षण करने आए एडीएम ने राजस्व टीम के साथ मौके की स्थिति जांची। प्रभारी तहसीलदार जितेंद्र सिंह नेगी व राजस्व निरीक्षक तिलकराम जोशी ने कहा कि दोनों राज्यों के बीच सीमा पर जंगल व आसपास के कुछ हिस्से में सीमा विवाद की स्थिति लंबे समय से बनी है। समिति के अध्यक्ष शूरवीर चौहान व सीमा क्षेत्र में बसे अन्य ग्रामीणों का कहना है कि हिमाचल के लोग राज्य की सीमा में अतिक्रमण कर रहे हैं। इसके चलते सीमा पर लगे पिलर भी उखाड़ दिए गए हैं। सीमा क्षेत्र में लगातार जारी अतिक्रमण के चलते बड़ी समस्या खड़ी हो गई। ग्रामीणों ने सरकार से सीमा विवाद का मामला जल्द सुलझाने की मांग की है, जिससे सीमा की सही स्थिति का पता चल सके।

chat bot
आपका साथी