दो माह तक फीस वसूलने की शिकायत पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग सख्त

बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कॉन्वेंट रोड स्थित एक निजी स्कूल की ओर से शिक्षण कार्य कराए बगैर दो महीने की फीस वसूलने की शिकायत का संज्ञान लिया है। आयोग ने मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) को 15 दिन के भीतर मामले की जांच रिपोर्ट भेजने को कहा है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 06:37 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 06:37 PM (IST)
दो माह तक फीस वसूलने की शिकायत पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग सख्त
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी!

जागरण संवाददाता, देहरादून: बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कॉन्वेंट रोड स्थित एक निजी स्कूल की ओर से शिक्षण कार्य कराए बगैर दो महीने की फीस वसूलने की शिकायत का संज्ञान लिया है। आयोग ने इस संबंध में मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) को 15 दिन के भीतर मामले की जांच रिपोर्ट भेजने को कहा है।

बीते 25 नवंबर को स्कूल की छात्रा ने आयोग को शिकायती पत्र भेजा। जिसमें कहा कि स्कूल ने बीते जून माह से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कराई, लेकिन अभिभावकों से दो महीने पहले यानी अप्रैल से फीस वसूली गई। आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने बताया कि शिकायतकर्त्‍ता ने बताया कि यदि अभिभावक इसका विरोध करते हैं तो उनके बच्चों को प्रोजेक्ट में कम अंक दिए जाते हैं, ऐसे में छात्राओं का मानसिक उत्पीड़न होता है। आयोग अध्यक्ष ने बताया कि बगैर शिक्षण कार्य का फीस वसूलना नियम के विरुद्ध है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी 12 फरवरी 2018 के पत्र में फीस वसूलने के मामले में छात्रों के उत्पीड़न को जेजे अधिनियम की धारा-75 का उल्लंघन बताया है। जिसके तहत कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने बताया कि बच्चों का किसी भी तरह से मानसिक उत्पीड़न न हो स्कूल को भी इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। 

बालिका के आत्महत्या मामले में आयोग सख्त

घर पर काम करने वाली बालिका के आत्महत्या मामले में बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने इस मामले में शुक्रवार को बालिका को काम पर रखने वाले दंपती के बयान दर्ज किए। जिसके आधार पर एसएसपी को सात बिंदुओं पर जांच रिपोर्ट एक माह के भीतर भेजने के आदेश दिए हैं। आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने बताया कि गंगोत्री विहार में घर में काम करने वाली बालिका ने बीते तीन नवंबर को फांसी लगाकर आत्महत्या की थी। पुलिस ने इस मामले में आठ दिन बाद बालिका के शव को लावारिश घोषित किया। मामला संज्ञान में आने पर आयोग ने पुलिस को छह बिंदुओं पर जांच के आदेश दिए थे। जिस पर पुलिस ने दंपती के खिलाफ बाल श्रम में मुकदमा दर्ज किया।

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