12 वर्ष तक के बच्चों के लिए तैयार होगा चाइल्ड डाटा बैंक
राज्य में बच्चों का डाटा बैंक बनकर तैयार होगा। इसमें बच्चों को ट्रैक कर उन्हें शिक्षा दिलाने अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाएगा। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस संबंध महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ ही सरकार से भी पत्र भेजाकर मांग कर रहा है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। यदि सब कुछ उम्मीदों के मुताबिक रहा तो उत्तराखंड में बच्चों का डाटा बैंक बनकर तैयार होगा। इसमें बच्चों को ट्रैक कर उन्हें शिक्षा दिलाने, अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाएगा। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस संबंध महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ ही सरकार से भी पत्र भेजकर मांग कर रहा है।
हाल ही में राज्य के शून्य से 12 वर्ष तक के बच्चों का रिकॉर्ड तैयार करने के लिए बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग को चाइल्ड डाटा बैंक तैयार करने के निर्देश दिए। इसके लिए आयोग ने इस ओर वृहद स्तर पर सर्वे कराने, कार्ययोजना तैयार कर संचालन के लिए तकरीबन एक करोड़ रुपये का प्रविधान करने को भी कहा।
आयोग के पूर्व सदस्य ललित सिंह दोसाद ने बीते वर्ष नौ नवंबर को सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की थी। जिसमें उन्होंने कहा कि आज भी बच्चे भीख मांगते हैं, श्रमिक के रूप में शोषित, असुरक्षित बचपन से समाज बेहतर नहीं कहा जा सकता। ऐसे में शून्य से 12 वर्ष तक के बच्चों को ट्रैक कर उन्हें उनके अधिकार और कर्तव्यों के लिए निर्देशित करने, तीन से 12 साल तक अनिवार्य शिक्षा दिलाने के साथ ही उनके अभिभावकों को जागरूक किया जाए। बच्चे को पैदा होते ही एक नंबर निर्गत किया जाए और वहीं उसका आधार नंबर भी हो। प्रत्येक बाल संस्था, शिक्षा, खेल, स्वास्थ्य, बाल विकास आदि विभागों से लिंक हो, ताकि इस माध्यम से मॉनिटिरिंग हो सके। आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि शिकायतकर्ता ने चाइल्ड डेटा बैंक बनाने के लिए उच्च स्तरीय समिति बनाकर सर्वे कराने का भी सुझाव दिया। कहा कि इसका संज्ञान लेते हुए महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग को निर्देश दिए गए हैं। विभाग की ओर से इस संबंध में जल्द ही प्रयास करने का आश्वासन दिया गया है।
जागरूकता अभियान जारी
आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने कहा कि आयोग विभिन्न्ा समितियों की मदद से क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य आदि को लेकर जागरूकता अभियान चला रहा है। बच्चे भीख न मांगें और नशे से दूर रहें इसलिए भी विभिन्न सामाजिक संस्थाएं कार्य कर रही हैं।
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