दुष्कर्म मामले में धमकी देने वालों पर बाल आयोग सख्त, एसओ को मुकदमा दर्ज करने के दिए आदेश

विकासनगर के एक गांव में नौ वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में पीड़ित परिवार को धमकी देने वालों पर पुलिस कार्रवाई न होने से बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने नाराजगी जताई है। आयोग ने इस संबंध में विकासनगर एसओ को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 04:48 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 07:15 PM (IST)
दुष्कर्म मामले में धमकी देने वालों पर बाल आयोग सख्त, एसओ को मुकदमा दर्ज करने के दिए आदेश
आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने कहा कि पुलिस द्वारा कार्रवाई न करना गलत है।

देहरादून, जेएनएन। विकासनगर के एक गांव में नौ वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में पीड़ित परिवार को धमकी देने वालों पर पुलिस कार्रवाई न होने से बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने नाराजगी जताई है। आयोग ने इस संबंध में विकासनगर एसओ को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। बता दें, स्थानीय पुलिस की ओर से कार्रवाई न करने पर पीड़ित ने एसपी को पत्र भेजकर गुहार लगाई, जिसके बाद आयोग ने भी इसका संज्ञान लिया। 

आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने बताया कि गत 18 अगस्त को बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया। इसके बाद मुकदमा दर्ज कर आरोपित को पुलिस ने जेल भेज दिया। मामला कोर्ट में लंबित है, लेकिन गांव के ही कुछ लोग उस दिन से पीड़ित के घर पर आकर केस वापस लेने, जान से मारने और घर तोड़ने की धमकी दे रहे हैं। 22 सितंबर को विकासनगर कोतवाली में इस संबंध में आरोपितों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई और पुलिस ने एफआइआर की कॉपी भी नहीं दी। उषा नेगी ने कहा कि मामला काफी गंभीर होने के बाद भी पुलिस द्वारा कार्रवाई न करना गलत है। उन्होंने बताया कि विकासनगर एसओ से देर रात फोन पर वार्ता हुई जिसमें उन्होंने कहा कि जो लोग धमकी दे रहे हैं, उनकी जानकारी लेकर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। आयोग अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले को लेकर वह खुद सोमवार को विकासनगर थाना जाएंगी।

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नवजात के डीएनए प्रकरण में महिला 29 को रखे पक्ष

द्वाराहाट से भाजपा विधायक पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला की नवजात बच्ची के गैरकानूनी डीएनए टेस्ट कराने के मामले में अब बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने महिला को 29 सितंबर को पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं। पूर्व में भेजे गए समन के आधार पर बीते सप्‍तह महिला को  आयोग में महिला को पेश होना था, लेकिन महिला ने आयोग को पत्र भेजकर शिकायत की प्रतिलिपी न होने का हवाला देते हुए तिथि नियत करने की गुजारिश की, जिस पर आयोग ने यह निर्देश दिए हैं।

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