उत्तराखंड में अब 17 से होगी मुख्यमंत्री घोषणाओं की समीक्षा, पहले चरण में ये जिले हैं शामिल

मुख्यमंत्री तीरथ रावत अब मुख्यमंत्री घोषणाओं की समीक्षा 17 जून से करेंगे। मुख्यमंत्री ने दिल्ली दौरे के कारण 14 15 और 16 जून को प्रस्तावित घोषणाओं की समीक्षा का कार्यक्रम स्थगित कर दिया। सीएम ने कुछ समय पहले 14 जून से सभी जिलों में समीक्षा करने का निर्णय लिया था।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 04:02 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 10:43 PM (IST)
उत्तराखंड में अब 17 से होगी मुख्यमंत्री घोषणाओं की समीक्षा, पहले चरण में ये जिले हैं शामिल
उत्तराखंड में अब 17 से होगी मुख्यमंत्री घोषणाओं की समीक्षा। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अब मुख्यमंत्री घोषणाओं की समीक्षा 17 जून से करेंगे। मुख्यमंत्री ने दिल्ली दौरे के कारण 14, 15 और 16 जून को प्रस्तावित घोषणाओं की समीक्षा का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कुछ समय पहले 14 जून से प्रदेश के सभी जिलों के लिए की गई मुख्यमंत्री की अपूर्ण घोषणाओं की समीक्षा करने का निर्णय लिया था। इसमें पूर्व त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की 2017 के बाद कीं गईं घोषणाएं भी शामिल हैं।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने 14 जून से इन घोषणाओं की समीक्षा करने का निर्णय लिया था। पूर्व प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री ने 14 जून को चंपावत व पिथौरागढ़, 15 जून को चमोली, रुद्रप्रयाग व हरिद्वार और 16 जून को टिहरी और उत्तरकाशी जिले के लिए की गई मुख्यमंत्री घोषणाओं की समीक्षा करने का निर्णय लिया था। इस बीच अचानक मुख्यमंत्री का दिल्ली जाने का कार्यक्रम तय हो गया।

वह 14 व 15 जून को दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करने के बाद 15 जून की शाम अथवा 16 जून को मुख्यमंत्री वापस आएंगे। इस कारण इन तीन दिनों के लिए प्रस्तावित समीक्षा अब बाद में की जाएगी। मुख्यमंत्री 17 जून से देहरादून, पौड़ी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल व ऊधमसिंह नगर की समीक्षा पहले करेंगे। इसके बाद शेष जिलों की समीक्षा की जाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने 14 से 16 जून तक प्रस्तावित जिलावार समीक्षा कार्यक्रम स्थगित करने की सूचना जारी कर दी है।

कोरोना से नहीं, अंदरूनी लड़ाई में मशगूल कांग्रेस

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि दूसरों को नीति, व्यवस्था और सेवा का पाठ पढ़ाने वाली कांग्रेस कोरोना से नहीं, बल्कि अंदरूनी झगड़ों में मशगूल है। यह पार्टी दुष्प्रचार के बूते प्रदेश में चुनावी वैतरणी पार कर किसी तरह सत्ता में लौटने का ख्वाब देख रही है। कौशिक ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान कांग्रेस नेताओं की दिल्ली दौड़ रही, लेकिन सेवा कार्यों में कांग्रेस की भूमिका नगण्य रही। उन्होंने कहा कि नकारात्मक राजनीति और व्यवस्थाओं पर सवाल उठाने के अलावा कांग्रेस कुछ नहीं कर पाई। संकट की इस घड़ी में कांग्रेस जनता के साथ खड़ी रहने की बजाए जनता से ही लड़ रही है। सेवा कार्यों की बजाए यह पार्टी धरना-प्रदर्शन को तरजीह देती रही।

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